एनबीडी मुलुंड,
विश्व हिंदू परिषद एवं बजरंग दल द्वारा पश्चिम बंगाल में हिंदुओं पर हो रहे कथित अत्याचारों के विरोध में एक सशक्त और संगठित आंदोलन का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम में सैकड़ों कार्यकर्ताओं एवं सामाजिक संगठनों ने भाग लिया और पीड़ितों को न्याय दिलाने की माँग की।
आंदोलन का उद्देश्य सरकार तक यह संदेश पहुँचाना था कि बंगाल की भूमि पर अब और अन्याय बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। इस अवसर पर आंदोलन के प्रमुख वक्ताओं ने अपने विचार व्यक्त किए।
मनीष तिवारी ने अपनी प्रतिक्रिया में कहा, “यह सिर्फ बंगाल के हिंदुओं की पीड़ा नहीं है, यह पूरे भारतवर्ष की आत्मा पर चोट है। हमारी चुप्पी सबसे बड़ा अपराध होगी। हमें संगठित होकर अन्याय के खिलाफ खड़ा होना ही होगा।”
एडवोकेट संतोष दुबे ने कहा, ‘यदि किसी राज्य में संविधान का राज नहीं रह गया है, वहाँ लोकतंत्र नहीं बल्कि अराजकता चल रही है। बंगाल की स्थिति चिंताजनक है – अब वहां राष्ट्रपति शासन आवश्यक हो गया है।”

कार्यक्रम के अंत में राष्ट्रपति के नाम एक ज्ञापन जिलाधिकारी के माध्यम से भेजा गया, जिसमें बंगाल में तत्काल राष्ट्रपति शासन लागू करने की मांग की गई।
इस आंदोलन ने यह स्पष्ट कर दिया है कि जब-जब किसी समाज के मूल अधिकारों पर चोट की जाएगी, तब-तब देश की सनातन चेतना संगठित होकर प्रतिकार करेगी।