एनबीडी मुलुंड,
मुलुंड पश्चिम स्थित एम.टी. अग्रवाल मनपा अस्पताल का पुनर्निर्माण पिछले कई वर्षों से जारी है। इस परियोजना पर अब तक 300 करोड़ रुपये से अधिक खर्च हो चुके हैं। मुलुंड, भांडुप और वागले इस्टेट (ठाणे) की गरीब और मध्यमवर्गीय जनता के लिए यह अस्पताल जीवनरेखा रहा है।
अब जब नव निर्मित भवन का कार्य अंतिम चरण में है और उद्घाटन की तैयारियां चल रही हैं, तब यह जानकारी सामने आई है कि मनपा प्रशासन ने इसे निजी हाथों में सौंपने का निर्णय ले लिया है।
सामाजिक और राजनीतिक संगठनों का कड़ा विरोध
मनपा के इस निर्णय को लेकर विभिन्न सामाजिक और राजनीतिक संगठनों ने तीव्र विरोध दर्ज कराया है। इस मुद्दे पर कई जनप्रतिनिधियों और समाजसेवियों ने मनपा प्रशासन को पत्र लिखकर अस्पताल को मनपा द्वारा ही संचालित करने की मांग की है।
विरोध दर्ज कराने वाले प्रमुख नेता:
• युवा ब्रिगेड एसोसिएशन के अध्यक्ष डॉ. सचिन सिंह
• राकांपा मुलुंड के अध्यक्ष कन्हैयालाल गुप्ता
• भाजपा के पूर्व नगरसेवक प्रकाश गंगाधरे
• मुलुंड भाजपा अध्यक्ष मनीष तिवारी
• समता हॉकर्स यूनियन के अध्यक्ष शरीफ खान
• वरिष्ठ समाजसेवी डॉ. बाबूलाल सिंह और बीरेंद्र पाठक
इन सभी ने स्पष्ट रूप से चेतावनी दी है कि यदि अस्पताल का निजीकरण किया गया, तो तीव्र आंदोलन और उग्र प्रदर्शन किया जाएगा।
2 अप्रैल को विशाल मोर्चा
मनपा प्रशासन के इस फैसले के खिलाफ कांग्रेस और महा विकास आघाड़ी द्वारा 2 अप्रैल को मुलुंड मनपा टी-वार्ड कार्यालय पर विशाल मोर्चा निकाला जाएगा। इस विरोध प्रदर्शन का नेतृत्व राकेश शेट्टी करेंगे।
जनता की प्रमुख मांगें:
• एम.टी. अग्रवाल अस्पताल को पूरी तरह से मनपा द्वारा संचालित किया जाए।
• स्वास्थ्य सेवाओं का निजीकरण रोककर गरीब जनता के अधिकारों की रक्षा की जाए।
• जनता के पैसों से बने अस्पताल को निजी हाथों में सौंपना अन्यायपूर्ण निर्णय है, इसे तुरंत रद्द किया जाए।
क्या निजीकरण से गरीबों की स्वास्थ्य सुविधाएं खतरे में हैं?
मुंबई मनपा द्वारा संचालित अस्पतालों में गरीब और मध्यमवर्गीय मरीजों को मुफ्त या रियायती दरों पर इलाज मिलता है। यदि इस अस्पताल का निजीकरण किया जाता है, तो इलाज महंगा हो जाएगा और गरीब जनता की परेशानी बढ़ जाएगी।
आंदोलन होगा और तेज!
यदि प्रशासन अपनी नीति में बदलाव नहीं करता, तो विरोध और तेज किया जाएगा और बड़ा आंदोलन खड़ा किया जाएगा।
सरकारी धन से बने अस्पताल का निजीकरण क्यों?
गरीबों की स्वास्थ्य सेवाओं पर व्यवसायीकरण क्यों?
जनता जवाब मांगेगी और अपना अधिकार लेकर रहेगी!