इस्लामाबाद, 26 मार्च 2025: बलूचिस्तान की तीन बहादुर बेटियां—महरंग बलोच, सम्मी दीन बलोच और सीमा बलोच—आज शांतिपूर्ण प्रतिरोध का प्रतीक बन चुकी हैं। दशकों से चले आ रहे दमन, जबरन गायब किए जाने और मानवाधिकार हनन के खिलाफ इन्होंने आवाज उठाई है। इन्होंने पाकिस्तान सरकार और सेना की उस व्यवस्था को चुनौती दी है, जो वर्षों से बलोच जनता की आवाज दबाने की कोशिश कर रही थी।
बलोचिस्तान में आंदोलन की नई लहर
बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी और अन्य संगठनों के सशस्त्र संघर्ष के बीच, बलूच यकजेहती कमेटी (BYC) के नेतृत्व में एक शांतिपूर्ण आंदोलन उभर रहा है, जिसका नेतृत्व ये युवा महिलाएं कर रही हैं। इनका संघर्ष महात्मा गांधी के अहिंसक आंदोलन से प्रेरित है और यह बलूच समुदाय के लिए एक नई आशा की किरण बना है।
महरंग बलोच: प्रतिरोध की मशालवाहक
महरंग बलोच एक सामाजिक कार्यकर्ता और मानवाधिकारों की समर्थक हैं। मात्र 13 साल की उम्र में उन्होंने अपने पिता के साथ मिलकर न्याय के लिए लड़ाई शुरू की थी। 2009 में उनके पिता अब्दुल गफ्फार लैंगोव को सुरक्षा बलों ने अगवा कर लिया था, और दो साल बाद उनका शव मिला। 2017 में उनके भाई को भी अगवा किया गया था, जो तीन महीने बाद छोड़ा गया। इन त्रासदियों ने महरंग को बलूच लोगों के अधिकारों की लड़ाई में उतरने के लिए मजबूर कर दिया। उनका कहना है, “अब मौत का डर नहीं, हमें अपने हक के लिए लड़ना है।”
सम्मी दीन बलोच और सीमा बलोच: नए प्रतिरोध की आवाज
सम्मी और सीमा बलोच भी महरंग के साथ कंधे से कंधा मिलाकर इस आंदोलन को आगे बढ़ा रही हैं। ये तीनों महिलाएं उन हजारों परिवारों की आवाज हैं, जिनके प्रियजन पाकिस्तानी सेना और खुफिया एजेंसियों द्वारा जबरन गायब कर दिए गए। इनका शांतिपूर्ण प्रतिरोध अब बलूचिस्तान में एक जनआंदोलन बन चुका है।
बलूचिस्तान में बढ़ता आक्रोश
बलूच समुदाय का आरोप है कि पाकिस्तान सरकार उनके संसाधनों का शोषण कर रही है, उनकी जमीनों पर बाहरी लोगों को बसाया जा रहा है और उनकी संस्कृति को खत्म करने की कोशिश हो रही है। जबरन गायब किए जाने की घटनाएं लगातार बढ़ रही हैं और पाकिस्तानी सेना पर मानवाधिकार हनन के गंभीर आरोप लग रहे हैं।
क्या कहती है दुनिया?
अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार संगठनों और संयुक्त राष्ट्र ने बलूचिस्तान में हो रहे अत्याचारों पर चिंता जताई है। लेकिन पाकिस्तान सरकार ने अभी तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया है।
बलूचिस्तान में यह आंदोलन अब पाकिस्तान सरकार के लिए एक गंभीर चुनौती बन चुका है। महरंग, सम्मी और सीमा जैसे युवाओं की अगुवाई में यह संघर्ष अब निर्णायक मोड़ पर है।