कनाडा के नए प्रधानमंत्री से भारत को क्या उम्मीदें हैं?
जस्टिन ट्रूडो के कार्यकाल में बिगड़े थे रिश्ते
कनाडा के पूर्व प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो के कार्यकाल में भारत और कनाडा के संबंधों में तनाव देखा गया। खासकर, खालिस्तानी आतंकवादी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या को लेकर भारत पर लगाए गए आरोपों और इसके जवाब में भारत द्वारा वीजा सेवाएं अस्थायी रूप से निलंबित करने जैसी घटनाओं ने द्विपक्षीय संबंधों को प्रभावित किया था।
मार्क कार्नी: एक अनुभवी अर्थशास्त्री और कूटनीतिक दृष्टिकोण
मार्क कार्नी कनाडा के एक अनुभवी अर्थशास्त्री और बैंकिंग क्षेत्र के विशेषज्ञ हैं। वे बैंक ऑफ कनाडा और बैंक ऑफ इंग्लैंड के गवर्नर रह चुके हैं और वैश्विक वित्तीय प्रणाली में उनकी अच्छी समझ मानी जाती है। उनके पास अंतरराष्ट्रीय आर्थिक नीतियों और व्यापार को लेकर गहरा अनुभव है, जिससे उम्मीद की जा रही है कि वे भारत के साथ व्यापारिक और कूटनीतिक संबंधों को फिर से मजबूत करने पर ध्यान देंगे।
व्यापारिक संबंधों को सुधारने की जरूरत
वर्तमान में भारत और कनाडा के बीच द्विपक्षीय व्यापार लगभग 11 बिलियन डॉलर के आसपास है, जिसे आने वाले वर्षों में और बढ़ाने की संभावना है। कनाडा की कई बड़ी कंपनियां भारत में निवेश कर रही हैं, वहीं भारतीय कंपनियां भी कनाडा में आईटी, फार्मास्युटिकल और इंफ्रास्ट्रक्चर क्षेत्रों में अपने पैर जमा रही हैं।
जलवायु परिवर्तन और तकनीकी सहयोग पर फोकस
मार्क कार्नी ने अपनी प्राथमिकताओं में जलवायु परिवर्तन, आर्थिक स्थिरता और अंतरराष्ट्रीय व्यापार को अहमियत देने की बात कही है। वे नवीकरणीय ऊर्जा और हरित विकास को बढ़ावा देने के पक्षधर हैं, और भारत इस क्षेत्र में एक उभरती हुई ताकत के रूप में देखा जा रहा है। अगर दोनों देशों के बीच इस क्षेत्र में सहयोग बढ़ता है, तो यह पर्यावरणीय और आर्थिक दृष्टि से एक महत्वपूर्ण कदम हो सकता है।
भारतीय प्रवासियों की भूमिका
कनाडा में रह रहे भारतीय प्रवासियों की बड़ी संख्या भी भारत-कनाडा संबंधों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। भारतीय समुदाय कनाडा की अर्थव्यवस्था और समाज में महत्वपूर्ण योगदान देता है। मार्क कार्नी इस बात से भली-भांति परिचित हैं कि भारतीय प्रवासी समुदाय के साथ मजबूत रिश्ते बनाकर वे न केवल राजनीतिक रूप से लाभान्वित हो सकते हैं, बल्कि भारत के साथ बेहतर संबंधों की दिशा में भी आगे बढ़ सकते हैं।
कनाडाई जनता की उम्मीदें
हाल ही में हुए एक सर्वेक्षण के अनुसार, कनाडा के लगभग 39% नागरिकों ने माना कि जस्टिन ट्रूडो की नीतियों के कारण भारत के साथ संबंध प्रभावित हुए। साथ ही, यह भी सामने आया कि ट्रूडो के रहते इन संबंधों में सुधार की संभावनाएं कम थीं। अब जब मार्क कार्नी सत्ता में हैं, तो यह देखना दिलचस्प होगा कि वे भारत के साथ संबंध सुधारने के लिए क्या रणनीति अपनाते हैं।
अमेरिका पर कार्नी की कड़ी टिप्पणी
प्रधानमंत्री बनने के बाद अपने पहले सार्वजनिक भाषण में उन्होंने अमेरिका की नीतियों पर टिप्पणी करते हुए कनाडा की संप्रभुता की रक्षा करने की प्रतिबद्धता जताई। उन्होंने कहा कि कनाडा अपने राष्ट्रीय हितों को प्राथमिकता देगा और किसी भी बाहरी दबाव के आगे नहीं झुकेगा। यह उनकी अंतरराष्ट्रीय कूटनीति को लेकर स्पष्ट दृष्टिकोण को दर्शाता है।
रक्षा और तकनीकी सहयोग के नए अवसर
इसके अलावा, दोनों देशों के बीच रक्षा और तकनीकी सहयोग को भी बढ़ाने की संभावनाएं हैं। भारत में स्टार्टअप और टेक्नोलॉजी सेक्टर तेजी से बढ़ रहा है, और कनाडा की तकनीकी विशेषज्ञता इस क्षेत्र में नई साझेदारियों का मार्ग प्रशस्त कर सकती है। साथ ही, कृषि, शिक्षा और स्वास्थ्य क्षेत्र में भी सहयोग बढ़ाने की संभावनाएं हैं।
क्या भारत-कनाडा संबंधों में नया मोड़ आएगा?
मार्क कार्नी की सरकार के लिए यह देखना जरूरी होगा कि वे जस्टिन ट्रूडो की नीतियों से अलग हटकर भारत के साथ अधिक सकारात्मक और व्यावहारिक संबंध स्थापित करने के लिए क्या कदम उठाते हैं। अगर वे व्यापार और कूटनीति पर ध्यान केंद्रित करते हैं, तो दोनों देशों के रिश्तों में नए अवसर खुल सकते हैं और आने वाले वर्षों में यह साझेदारी और मजबूत हो सकती है।
मार्क कार्नी के नेतृत्व में भारत-कनाडा संबंधों में नए युग की शुरुआत
