सर्वदलीय बैठक में बनी सहमति संसद Parliament में हंगामे Disruptions संविधान पर होगी विशेष चर्चा
Consensus in All-Party Meeting: Break on Disruptions in Parliament, Special Discussion on Constitution to be Held
नई दिल्ली: 2 दिसंबर 2024 को लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला द्वारा आयोजित की गई सर्वदलीय बैठक में संसद के मौजूदा गतिरोध को खत्म करने के उपायों पर गहन चर्चा की गई। इस बैठक में विभिन्न राजनीतिक दलों के नेताओं ने हिस्सा लिया और संसद की कार्यवाही को सुचारु रूप से चलाने के लिए सहमति जताई। बैठक के दौरान, नेताओं ने 3 दिसंबर से लोकसभा की कार्यवाही को बिना किसी व्यवधान के चलाने का निर्णय लिया।
इस महत्वपूर्ण बैठक में कई प्रमुख नेताओं ने अपनी राय रखी, जिनमें केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू, अर्जुन राम मेघवाल, Congress के सांसद गौरव गोगोई, TMC नेता सुप्रिया सुले, और SP के सांसद धर्मेन्द्र यादव प्रमुख थे। इसके अलावा, CPI (M) के के. राधाकृष्णन, शिव सेना-UBT के अरविंद सावंत, RJD के अभय कुशवाहा, JDU के दिलेश्वर कामैत, NCP की सुप्रिया सुले, DMK के टी.आर. बालू और लवी कृष्ण देव रायलु (YSR कांग्रेस) भी बैठक में शामिल हुए अन्य विपक्षी नेताओं ने भी बैठक में भाग लिया।
बैठक में यह निर्णय लिया गया कि 13 और 14 दिसंबर को लोकसभा में संविधान पर विशेष चर्चा आयोजित की जाएगी। इस दौरान सदन में संविधान के महत्व, उसकी उत्पत्ति, और इसके विभिन्न पहलुओं पर गहन विचार-विमर्श होगा। इस ऐतिहासिक चर्चा का उद्देश्य संविधान की प्रासंगिकता और उसकी अनुकूलता पर विचार करना है, ताकि इसे समझने और सही रूप से लागू करने में मदद मिल सके।
इसके बाद, 16 और 17 दिसंबर को राज्यसभा में भी संविधान पर चर्चा आयोजित की जाएगी। दोनों सदनों में यह चर्चा संविधान के महत्व और उसकी सामाजिक-राजनीतिक भूमिका पर केंद्रित होगी। बैठक में शामिल नेताओं ने इस पहल का स्वागत किया और इसे एक ऐतिहासिक कदम बताया।
लोकसभा और राज्यसभा में हंगामे पर ब्रेक
सर्वदलीय बैठक में यह सहमति भी बनी कि 3 दिसंबर से संसद की कार्यवाही को सुचारु रूप से चलाने के लिए सभी दल एकजुट होंगे। विपक्षी दलों ने भी यह संकेत दिया कि वे अब संसद में किसी प्रकार के हंगामे या व्यवधान से बचेंगे, जिससे सदन में प्रभावी चर्चा और कानून निर्माण का माहौल बने। यह निर्णय संसद के कामकाज को बेहतर बनाने और लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं को सुदृढ़ करने के लिए महत्वपूर्ण माना जा रहा है।
संविधान पर चर्चा: सरकार और विपक्ष के बीच संवाद की संभावना
13 और 14 दिसंबर को होने वाली लोकसभा की चर्चा संविधान के महत्व और उसकी उत्पत्ति पर केंद्रित होगी। यह चर्चा न केवल सरकार के दृष्टिकोण को प्रस्तुत करेगी, बल्कि विपक्षी दल भी इसमें सक्रिय रूप से भाग लेंगे। इस खास अवसर पर, सरकार और विपक्ष के बीच संवाद का माहौल बनने की संभावना है, जिससे यह चर्चा ऐतिहासिक और यादगार बन सकती है।
केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू ने बैठक के बाद यह घोषणा की कि इस विशेष चर्चा के दौरान संविधान के महत्वपूर्ण पहलुओं पर सभी दलों के नेताओं से विचार-विमर्श किया जाएगा। उन्होंने यह भी कहा कि संविधान को सही तरीके से समझने और उसे लागू करने के लिए यह चर्चा आवश्यक है, ताकि देश में लोकतांत्रिक मूल्यों और सामाजिक न्याय की मजबूती सुनिश्चित हो सके।
भारत के संविधान को समझने की जरूरत
भारत का संविधान न केवल देश के कानूनों का आधार है, बल्कि यह भारतीय लोकतंत्र और सामाजिक ढांचे का भी स्तंभ है। 13 और 14 दिसंबर को लोकसभा में होने वाली विशेष चर्चा का उद्देश्य संविधान की जटिलताओं को सरल तरीके से समझाना और उसकी प्रासंगिकता पर ध्यान केंद्रित करना है। संविधान की समझ को बढ़ाना, उसकी आवश्यकताओं और चुनौतियों को जानना, आज के समय में और भी महत्वपूर्ण हो गया है, जब समाज और राजनीति दोनों में बदलाव आ रहे हैं।
सारांश:
यह सर्वदलीय बैठक और 3 दिसंबर से संसद में होने वाली कार्यवाही की शुरुआत लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं को सुदृढ़ करने के दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। संविधान पर होने वाली विशेष चर्चा 13 और 14 दिसंबर को लोकसभा में, और 16 और 17 दिसंबर को राज्यसभा में होगी, जो न केवल सरकार और विपक्ष के बीच संवाद का एक अवसर प्रदान करेगी, बल्कि भारतीय संविधान की अहमियत और प्रासंगिकता को भी एक बार फिर से उजागर करेगी।
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