मृत्युभोज प्रथा के बदले मानवीय मदद करने की अपने परिवार से पहल करेगें कृपाशंकर सिंह

एनबीडी संवाददाता जौनपुर,

मृत्युभोज को लेकर महाराष्ट्र के पूर्व गृह राज्यमंत्री तथा जौनपुर के पूर्व लोकसभा प्रत्याशी कृपाशंकर सिंह और उनके परिवार ने एक साहसिक और प्रेरणादायक फैसला लिया है। 25 जनवरी को उनके भतीजे गया प्रसाद सिंह का उनके पैतृक गांव सहोदरपुर में निधन हो गया था। 3 फरवरी को 10 दशगात्र तथा 4 फरवरी को एकादशाह (शुद्धक ) का कार्यक्रम रखा गया है। परंतु मृत्यु भोज का कार्यक्रम नहीं रखा गया है। इस बारे में पूछे जाने पर कृपाशंकर सिंह ने बताया कि धार्मिक परंपरा के अनुसार तेरहवीं के दिन 13 ब्राह्मणों को पूरे सम्मान के साथ खिलाकर उनका आशीर्वाद प्राप्त किया जाएगा परंतु मृत्यु भोज के नाम पर कोई कार्यक्रम नहीं होगा। उन्होंने कहा कि मृत्यु भोज के बदले गांव के किसी एक गरीब आदमी का घर बनाकर उसे उपहार स्वरूप दिया जाएगा।

देखा जाए तो कृपाशंकर और उनके परिवार द्वारा लिया गया यह फैसला समाज के लिए एक अच्छा संदेश है। आज मृत्यु भोज एक स्टेटस सिंबल बनता जा रहा है। मृत्यु भोज के चलते आम आदमी कर्ज की दलदल तक में फंस जाता है । ऐसी हालत में मृत्यु भोज को पूरी तरह से समाप्त कर देने से इसका सबसे अधिक लाभ निम्न और मध्यम वर्ग के लोगों को होगा। मृत्यु भोज में होने वाले खर्च को मानवीय सहायता के रूप में तब्दील किया जा सकता है। आज हर गांव में मृत्यु भोज का सालाना खर्च 15 से 20 लाख रुपए है । इन रुपयों से नए मंदिर या शादी का हाल जैसे अनेक निर्माण कार्य किए सकते हैं। इन निर्माण कार्यों पर उन सभी लोगों के नाम अंकित किए जा सकते हैं जिनकी स्मृति में निर्माण कार्य पूरा हुआ है ।

Share

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Copyright ©2025 Navbharat Darpan .Designed By Mindcraft Infotech

navbharat darpan logo