मोरबी: भारत का ग्लोबल सिरेमिक हब
गुजरात का मोरबी शहर आज वैश्विक सिरेमिक उद्योग में अपनी धाक जमा चुका है। यह शहर भारत के सिरेमिक प्रोडक्शन का 90% हिस्सा बन चुका है और अपने उच्च-गुणवत्ता वाले उत्पादों के कारण चीन और इटली को कड़ी टक्कर दे रहा है।
मोरबी का उदय और सफलता की कहानी
मोरबी की सिरेमिक इंडस्ट्री 1930 के दशक से ही फल-फूल रही है। यहां करीब 1000 परिवारिक मालिकाना वाली फैक्ट्रियां कार्यरत हैं, जो सिरेमिक टाइल्स, सैनिटरीवेयर और अन्य उत्पादों का निर्माण करती हैं। आज यह उद्योग विश्व के कुल सिरेमिक उत्पादन के 13% पर नियंत्रण रखता है और हजारों करोड़ रुपये के कारोबार में योगदान देता है।
आनंद महिंद्रा की प्रतिक्रिया
महिंद्रा ग्रुप के चेयरमैन आनंद महिंद्रा ने हाल ही में सोशल मीडिया पर मोरबी की सफलता पर प्रकाश डालते हुए एक वीडियो साझा किया। उन्होंने कहा कि भारतीय व्यवसाय चीन के साथ प्रतिस्पर्धा कर सकते हैं, और मोरबी इसका सटीक उदाहरण है। उन्होंने मोरबी के व्यापारिक समुदाय की सराहना करते हुए इसे भारत का ‘बाहुबली’ कहा।
मोरबी के सिरेमिक उद्योग की चुनौतियां
हालांकि वैश्विक स्तर पर सफलता प्राप्त करने के बावजूद, मोरबी की सिरेमिक इंडस्ट्री कई चुनौतियों का सामना कर रही है।
मांग में गिरावट और उच्च उत्पादन लागत
- घरेलू और अंतरराष्ट्रीय मांग में गिरावट के कारण उद्योग को मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है।
- उद्योग सरकार से गैस की खपत पर टैक्स कम करने की मांग कर रहा है।
- हर दिन लगभग 3 मिलियन क्यूबिक मीटर गैस की खपत होती है, जिससे ऊर्जा लागत एक बड़ी चिंता बनी हुई है।
निर्यात पर असर - सऊदी अरब, कतर और ताइवान जैसे देशों द्वारा 50% से 106% तक के एंटी-डंपिंग टैरिफ लगाए गए हैं, जिससे निर्यात प्रभावित हुआ है।
- ईरान पर लगाए गए व्यापारिक प्रतिबंधों के कारण कजाकिस्तान, उज्बेकिस्तान और अजरबैजान के निर्यात मार्ग बंद हो गए हैं, जिससे कंपनियों को महंगे वैकल्पिक शिपिंग मार्ग अपनाने पड़ रहे हैं।
निष्कर्ष: मोरबी की मजबूती और भविष्य
इन चुनौतियों के बावजूद, मोरबी का व्यापारिक समुदाय अपनी मेहनत और नवीनता से वैश्विक सिरेमिक बाजार में भारत को आगे बढ़ा रहा है। यह साबित करता है कि छोटे शहर भी विश्व स्तर की सफलता प्राप्त कर सकते हैं। मोरबी का यह सफर भारतीय उद्योगों के लिए एक प्रेरणा बना रहेगा।