Sanatan Dharma Sansad organized in Delhi: Historic presence of sages and saints, high demand for Sanatan Board
दिल्ली में सनातन धर्म संसद का आयोजन: साधु-संतों की ऐतिहासिक उपस्थिति, सनातन बोर्ड की मांग बुलंद
नई दिल्ली:
राजधानी दिल्ली में सनातन धर्म संसद का भव्य आयोजन हुआ, जिसमें हजारों की संख्या में साधु-संत और धर्माचार्य शामिल हुए। यह ऐतिहासिक कार्यक्रम प्रसिद्ध कथावाचक देवकीनंदन ठाकुर के नेतृत्व में आयोजित किया गया। इस धर्म संसद का मुख्य उद्देश्य सनातन धर्म की रक्षा और उसे संरक्षित करने के लिए एक सनातन बोर्ड के गठन की मांग को लेकर केंद्र सरकार पर दबाव बनाना था।
प्रमुख साधु-संतों की उपस्थिति
इस आयोजन में देशभर से प्रतिष्ठित संत और महात्मा शामिल हुए। आचार्य लोकेश मुनि, नवल किशोर महाराज जी और कालका मंदिर के महंत ने कार्यक्रम की शोभा बढ़ाई। हजारों भक्तों और श्रद्धालुओं ने साधु-संतों के प्रवचनों को सुनने और सनातन धर्म के उद्देश्यों को समझने के लिए इस आयोजन में बढ़-चढ़कर भाग लिया।
सनातन धर्म की रक्षा का संकल्प
कार्यक्रम के दौरान कथावाचक देवकीनंदन ठाकुर ने मंच से कहा, “बहुत सह लिया, अब और सहन नहीं करेंगे। हिंदू समाज अपने हक लेकर रहेगा।” उन्होंने धर्म संसद में उपस्थित सभी साधु-संतों और भक्तों से आह्वान किया कि वे सनातन धर्म के प्रचार-प्रसार और सुरक्षा के लिए एकजुट हों।
सनातन बोर्ड के गठन की मांग
साधु-संतों ने इस धर्म संसद में एक स्वर में सनातन बोर्ड के गठन की मांग की। इस बोर्ड का उद्देश्य सनातन धर्म से जुड़े मुद्दों का समाधान निकालना, हिंदू धर्म के अधिकारों की रक्षा करना, और धर्म पर हो रहे किसी भी हमले का कानूनी और सामाजिक स्तर पर प्रतिकार करना है।
प्रवचनों में प्रमुख विषय
इस आयोजन में विभिन्न प्रवचनों के माध्यम से निम्नलिखित मुद्दों पर चर्चा की गई:
- सनातन धर्म की प्राचीनता और उसकी रक्षा का महत्व।
- धार्मिक स्थलों पर हो रहे अतिक्रमण और उनकी सुरक्षा।
- हिंदू धर्म से जुड़े त्योहारों और परंपराओं को संरक्षित रखने की आवश्यकता।
- युवाओं को सनातन धर्म से जोड़ने के लिए विशेष पहल।
- आधुनिक समाज में सनातन धर्म की प्रासंगिकता।
धर्म संसद का मुख्य नारा
कार्यक्रम के अंत में, देवकीनंदन ठाकुर ने कहा, “यह धर्म संसद सनातन धर्म के उत्थान का आह्वान है। अब हमें संगठित होकर अपने अधिकारों और धर्म की रक्षा के लिए आगे बढ़ना होगा।”
उन्होंने यह भी कहा कि सनातन धर्म का प्रचार-प्रसार केवल एक धार्मिक कर्तव्य नहीं, बल्कि यह देश और समाज को एकजुट करने का प्रयास है।
जनता का जोश और समर्थन
इस धर्म संसद में आए हजारों भक्तों ने साधु-संतों की बातों का समर्थन करते हुए उनके आह्वान को अपना नैतिक और सामाजिक समर्थन देने का संकल्प लिया। श्रद्धालुओं ने कहा कि सनातन धर्म की रक्षा के लिए वे हर संभव प्रयास करेंगे।
निष्कर्ष
दिल्ली में आयोजित इस धर्म संसद ने सनातन धर्म के लिए एक नई ऊर्जा और संकल्प को जन्म दिया। साधु-संतों ने अपने विचारों और मार्गदर्शन से जनसमुदाय को जागरूक किया। इस धर्म संसद के माध्यम से दिए गए संदेश ने यह स्पष्ट कर दिया कि सनातन धर्म और उसकी परंपराओं की रक्षा के लिए हर व्यक्ति को आगे आना होगा।
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