संभल हिंसा: सुनियोजित साजिश का खुलासा, छतों से हमला करने का मिला निर्देश, महिलाओं की भूमिका और बाहरी कनेक्शन उजागर
घटना का पृष्ठभूमि और प्रारंभिक जानकारी
रविवार को संभल की जामा मस्जिद में हुए सर्वे के दौरान हिंसा भड़क उठी। यह हिंसा अचानक नहीं हुई थी, बल्कि इसे पूरी तरह से योजनाबद्ध तरीके से अंजाम दिया गया था। पुलिस जांच में चौंकाने वाले खुलासे हुए हैं कि हिंसा को लेकर पहले से व्यापक तैयारी की गई थी। महिलाओं को निर्देश दिए गए थे कि अगर पुलिस कार्रवाई करे और घिरने की स्थिति बने, तो छतों से ईंट-पत्थर और कांच की बोतलों से हमला बोलें।
पुलिस द्वारा की गई तफ्तीश से यह बात भी सामने आई है कि हिंसा में शामिल लोगों में न केवल स्थानीय बल्कि बाहरी जिलों के उपद्रवी भी थे। शाहजहांपुर और अन्य जिलों से भी उपद्रवियों को बुलाया गया था। घटना के बाद पुलिस ने अब तक 27 आरोपितों को गिरफ्तार किया है, जिनमें दो महिलाएं और एक युवती भी शामिल हैं।
सुनियोजित हिंसा के लिए की गई थी तैयारी
जांच में यह साफ हो गया है कि हिंसा को अंजाम देने के लिए पहले से ही व्यापक स्तर पर तैयारी की गई थी। घरों की छतों पर ईंट-पत्थर, कांच की बोतलें और अन्य सामग्री जमा की गई थी। मकसद साफ था कि अगर पुलिस सख्ती करे तो जवाबी कार्रवाई के रूप में छतों से हमला किया जाए।
पुलिस के अनुसार, हिंसा के दौरान उपद्रवियों ने पुलिस को कमजोर करने के लिए छतों से महिलाओं को हमले के लिए उतारा। महिलाओं ने छतों से ईंटें और पत्थर फेंककर पुलिस पर दबाव बनाया। इससे पुलिस तितर-बितर हो गई, और इस दौरान उपद्रवियों ने मौके का फायदा उठाते हुए फायरिंग भी शुरू कर दी।
महिलाओं की भूमिका: रणनीति का हिस्सा
पूछताछ में यह बात सामने आई है कि हिंसा में महिलाओं को शामिल करना एक सोची-समझी रणनीति थी। महिलाओं को स्पष्ट संदेश दिया गया था कि अगर पुलिस सख्ती करे और घेराबंदी की स्थिति बने, तो वे आगे आकर मोर्चा संभालें।
इस योजना के तहत, जब पुलिस ने सख्ती शुरू की, तो महिलाएं छतों से हमला करने लगीं। इससे पुलिस असमंजस में पड़ गई और स्थिति का फायदा उठाकर उपद्रवी बच निकलने में कामयाब हुए। यह योजना इसलिए बनाई गई थी क्योंकि महिलाएं जब पुलिस के सामने आती हैं, तो पुलिस के कदम स्वाभाविक रूप से पीछे हट जाते हैं।
सीसीटीवी कैमरों को बनाया निशाना
हिंसा से पहले इलाके के सीसीटीवी कैमरों को निशाना बनाकर तोड़ दिया गया था। पुलिस ने जब फुटेज खंगाली, तो पाया कि कुछ युवक कैमरों की ओर इशारा कर रहे थे। इसके बाद उन्होंने ईंटें और डंडों से इन कैमरों को तोड़ दिया। यह कदम इसलिए उठाया गया ताकि हिंसा में शामिल लोगों की पहचान न हो सके।
गिरफ्तारी और पूछताछ के दौरान हुआ खुलासा
पुलिस ने अब तक 27 आरोपितों को गिरफ्तार किया है, जिनमें दो महिलाएं रुकैया और फरमाना तथा एक युवती नजराना भी शामिल हैं। इन सभी से अलग-अलग पूछताछ की गई और बाद में उन्हें आमने-सामने बैठाकर सवाल किए गए। पूछताछ में यह साफ हुआ कि हिंसा पूरी तरह से योजनाबद्ध थी।
शाहजहांपुर और अन्य जिलों के उपद्रवियों की भूमिका
गिरफ्तार आरोपितों में शाहजहांपुर निवासी मोहम्मद हैदर भी शामिल है। उसकी कॉल डिटेल रिकॉर्ड (सीडीआर) की जांच में पता चला कि घटना से पहले और उसके दौरान वह किन-किन लोगों के संपर्क में था।
इसके अलावा, शाहजहांपुर और अन्य जिलों से बुलाए गए उपद्रवियों की सूची तैयार की गई है। पुलिस ने संबंधित जिलों में टीमें भेजी हैं और उनकी तलाश जारी है। जांच में यह बात भी सामने आई है कि मस्जिद के अंदर सौ से अधिक लोग पहले से मौजूद थे, जो सर्वे की कार्रवाई के दौरान बाहर निकाले गए।
घटनास्थल पर हिंसा की स्थिति
घटना के दिन एडवोकेट कमिश्नर रमेश राघव, डीएम, एसपी और पुलिस बल के साथ जामा मस्जिद में सर्वे करने पहुंचे थे। यह कार्रवाई शांतिपूर्ण ढंग से शुरू हुई थी, लेकिन पहले से तैयार उपद्रवियों ने अचानक बवाल शुरू कर दिया। पुलिस पर ईंट-पत्थर और कांच की बोतलों से हमला हुआ।
डिजिटल सबूतों की जांच
पुलिस ने हिंसा के दौरान इस्तेमाल किए गए मोबाइल फोनों की भी जांच शुरू की है। व्हाट्सएप ग्रुप और अन्य सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स के माध्यम से उपद्रवियों को संदेश भेजे गए थे। पुलिस इन सभी संदेशों की पड़ताल कर रही है ताकि घटना से जुड़े मास्टरमाइंड तक पहुंचा जा सके।
पहचान छिपाने के लिए अपनाए गए तरीके
जांच में यह भी सामने आया कि उपद्रवियों ने पहचान छिपाने के लिए अपने चेहरों पर कपड़े बांध रखे थे और इलाके के सीसीटीवी कैमरों को पहले ही तोड़ दिया गया था। यह हिंसा इस बात का संकेत है कि इसे अंजाम देने से पहले पूरी तैयारी की गई थी।
पुलिस की कार्रवाई और आगे की योजना
संभल पुलिस ने अब तक 74 आरोपितों की पहचान कर ली है। कमिश्नर अंजनेय कुमार सिंह ने बताया कि वीडियो और फोटो के आधार पर उपद्रवियों को चिन्हित किया जा रहा है। इसके अलावा, मास्टरमाइंड और हिंसा से जुड़े प्रमुख आरोपितों की तलाश जारी है।
संभल की यह हिंसा अचानक नहीं हुई थी, बल्कि इसे सुनियोजित तरीके से अंजाम दिया गया था। महिलाओं की भूमिका और बाहरी जिलों के उपद्रवियों की भागीदारी यह दर्शाती है कि घटना के पीछे बड़ी साजिश थी। पुलिस अब सभी पहलुओं की जांच कर रही है ताकि इस हिंसा के मास्टरमाइंड को पकड़ा जा सके और भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोका जा सके।