कर्णप्रयाग रेल परियोजना ने रचा नया इतिहास

योग नगरी से तप नगरी तक रेल कनेक्टिविटी की क्रांति-ऋषिकेश

एनबीडी संवाददाता,

भारतीय रेल ने उत्तराखंड के पर्वतीय क्षेत्र में एक ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल की है। योग नगरी ऋषिकेश से तप नगरी कर्णप्रयाग को जोड़ने वाली 125.2 किमी लंबी ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल परियोजना अब पूरी रफ्तार पकड़ चुकी है। इस परियोजना से सफर जो पहले 6–7 घंटे में होता था, अब महज दो घंटे में पूरा किया जा सकेगा।

रेल मंत्री श्री अश्विनी वैष्णव और उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने हाल ही में देश की सबसे लंबी रेलवे सुरंग (14.58 किमी) के ब्रेकथ्रू का उद्घाटन किया। यह सुरंग देवप्रयाग और जनासू के बीच बन रही है, जो भारत में रेलवे निर्माण की एक नई मिसाल बन चुकी है।

परियोजना की मुख्य विशेषताएं:

टीबीएम तकनीक का पहली बार पहाड़ी इलाकों में इस्तेमाल, ‘शिव’ और ‘शक्ति’ नामक बोरिंग मशीनों ने एक महीने में 1080 मीटर सुरंग बनाकर रिकॉर्ड रचा। परियोजना में 83% हिस्सा सुरंगों से होकर गुजरेगा – कुल 17 मुख्य सुरंगें और 12 एस्केप टनल। अब तक 193 किमी निर्माण कार्य पूरा, और 28 में से 28 सुरंग ब्रेकथ्रू पूरे हो चुके हैं। यह परियोजना देहरादून, टिहरी गढ़वाल, पौड़ी गढ़वाल, रुद्रप्रयाग और चमोली – इन पांच जिलों को जोड़ेगी।

लाभ:

चारधाम यात्रा होगी सालभर सुगम – यमुनोत्री, गंगोत्री, केदारनाथ और बद्रीनाथ तक निर्बाध यात्रा। पर्यटन और स्थानीय अर्थव्यवस्था को मिलेगा बढ़ावा – होटल, व्यापार, परिवहन को लाभ। स्वास्थ्य, शिक्षा और रोज़गार तक पहाड़ी क्षेत्रों की बेहतर पहुंच। बर्फबारी, भूस्खलन और मानसून से असर रहित यात्रा, सालभर कनेक्टिविटी सुनिश्चित।

ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल परियोजना ना सिर्फ़ उत्तराखंड की भौगोलिक कठिनाइयों को मात दे रही है, बल्कि आध्यात्मिक, सामाजिक और आर्थिक प्रगति की दिशा में एक मजबूत कदम भी है। यह भारत के पहाड़ी रेल इंफ्रास्ट्रक्चर का भविष्य तय करने वाली एक मील का पत्थर है।

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