परिसीमन की राजनीति: कांग्रेस, आरजेडी, सपा और AAP का रुख क्या है?

Politics of Delimitation: What is the stance of Congress, RJD, SP, and AAP?

नई दिल्ली: देश में परिसीमन को लेकर सियासी हलचल तेज हो गई है। बढ़ती जनसंख्या के आधार पर निर्वाचन क्षेत्रों की सीमाओं को दोबारा निर्धारित करने की प्रक्रिया को परिसीमन कहा जाता है, जिससे लोकतंत्र में आबादी का सही प्रतिनिधित्व सुनिश्चित किया जा सके। हाल ही में तमिलनाडु की सत्तारूढ़ पार्टी डीएमके ने इस मुद्दे पर बैठक बुलाई थी, जिसमें केरल के मुख्यमंत्री पी. विजयन, तेलंगाना, ओडिशा और कर्नाटक के नेता शामिल हुए। लेकिन उत्तर भारत के राजनीतिक दल—कांग्रेस, आरजेडी, सपा और आम आदमी पार्टी—इस पर क्या रुख रखते हैं? आइए जानते हैं।

सपा और AAP का समर्थन हाल ही में डीएमके सांसदों ने संसद भवन परिसर में परिसीमन के खिलाफ प्रदर्शन किया था। इस पर प्रतिक्रिया देते हुए समाजवादी पार्टी (सपा) के प्रमुख अखिलेश यादव ने कहा, “मैं तमिलनाडु के लोगों के साथ हूं, क्योंकि भाजपा पता नहीं कैसा परिसीमन कर दे। ये लोग विधानसभा चुनाव कैसे लड़ते हैं? जाति के आधार पर नियुक्ति करते हैं।” यह पहली बार था जब अखिलेश यादव ने इस मुद्दे पर खुलकर डीएमके का समर्थन किया।

आम आदमी पार्टी (AAP) ने भी डीएमके के स्टैंड का समर्थन किया। पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने डीएमके प्रमुख एम.के. स्टालिन से मुलाकात के दौरान कहा था कि भाजपा उन राज्यों में सीटें कम करने का काम कर रही है, जहां वह जीत नहीं सकती। उन्होंने कहा, “हम बीजेपी के मंसूबों को कामयाब नहीं होने देंगे।”

कांग्रेस और आरजेडी का रुख परिसीमन के मुद्दे पर कांग्रेस सांसद जयराम रमेश ने कहा कि नई जनगणना कराए बिना परिसीमन की प्रक्रिया शुरू नहीं की जा सकती। उन्होंने याद दिलाया कि पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने 2002 में संविधान संशोधन करके 2026 तक परिसीमन को स्थगित कर दिया था।

आरजेडी नेता तेजस्वी यादव ने भी परिसीमन पर बीजेपी की मंशा पर सवाल उठाए। हालांकि, उत्तर भारत के राजनीतिक दल इस मुद्दे पर खुलकर बोलने से बचते नजर आए।

परिसीमन क्या है? बढ़ती जनसंख्या के आधार पर निर्वाचन क्षेत्रों की सीमाओं को दोबारा निर्धारित करने की प्रक्रिया को परिसीमन कहते हैं। इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि लोकतंत्र में आबादी का सही प्रतिनिधित्व हो और सभी को समान अवसर मिल सकें। इसलिए लोकसभा अथवा विधानसभा सीटों के क्षेत्र को पुनः परिभाषित किया जाता है।

इस मुद्दे पर देश की राजनीति में लगातार बहस जारी है और आने वाले दिनों में यह और गर्मा सकता है।

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