One Nation, One Election बिल: संख्याओं का खेल, क्या पास हो पाएगा?
बीजेपी की ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ (One Nation, One Election) की पहल को लेकर संसद में घमासान जारी है। इस बिल को पास कराने के लिए संविधान संशोधन की आवश्यकता है, जिसके लिए लोकसभा में दो-तिहाई बहुमत चाहिए। लेकिन मंगलवार शाम तक बीजेपी के पास इस बिल को पास कराने के लिए जरूरी आंकड़े नहीं थे।
क्या है मामला?
लोकसभा में मंगलवार को दो बिल पेश किए गए:
- राज्य विधानसभाओं की अवधि और विघटन में बदलाव और उनके कार्यकाल को लोकसभा से जोड़ने का प्रस्ताव।
- केंद्र शासित प्रदेशों (दिल्ली, जम्मू-कश्मीर और पुडुचेरी) की विधानसभाओं में समान बदलाव का प्रस्ताव।
इन बिलों के पेश होते ही विपक्ष ने जमकर विरोध किया। कांग्रेस, समाजवादी पार्टी, टीएमसी, डीएमके और एआईएमआईएम समेत कई पार्टियों ने इसे संविधान की बुनियादी संरचना के खिलाफ बताया।
हालांकि, बीजेपी के सहयोगी दल – आंध्र प्रदेश के सत्तारूढ़ तेलुगु देशम पार्टी (टीडीपी) और महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाला शिवसेना गुट – ने इसका समर्थन किया।
संख्या का खेल
संविधान संशोधन के लिए लोकसभा में उपस्थित सदस्यों के दो-तिहाई बहुमत (307 वोट) की जरूरत होती है। लेकिन मंगलवार के वोटिंग आंकड़े बीजेपी के पक्ष में नहीं थे।
- बीजेपी को मिले वोट: 269
- विपक्ष को मिले वोट: 198
- कुल वोट पड़े: 461
कांग्रेस नेता मणिकम टैगोर ने कहा, “307 वोट चाहिए थे, लेकिन सरकार सिर्फ 269 वोट ही जुटा पाई। प्रस्ताव दो-तिहाई समर्थन पाने में विफल रहा।”
क्या होगा आगे?
हालांकि, सरकार के पास बहुमत है, लेकिन संविधान संशोधन के लिए जरूरी दो-तिहाई बहुमत नहीं।
- एनडीए के पास लोकसभा में 293 सांसद हैं।
- गैर-गठबंधन दलों में वाईएसआर कांग्रेस (4 सांसद) और अकाली दल (1 सांसद) ने समर्थन का वादा किया है।
फिर भी, प्रधानमंत्री मोदी को कम से कम 9 और सांसदों का समर्थन जुटाना होगा, जो बीजेपी के लिए असंभव नहीं है।
फिलहाल, संभावना है कि इस बिल को एक संयुक्त समिति के पास भेजा जाएगा, जिसमें लोकसभा में पार्टी की संख्या के आधार पर सदस्य चुने जाएंगे।
क्या है ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’?
‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ का मतलब है कि लोकसभा और विधानसभा चुनाव एक साथ कराए जाएं।
वर्तमान स्थिति
2024 तक केवल 4 राज्यों – आंध्र प्रदेश, अरुणाचल प्रदेश, सिक्किम और ओडिशा – ने लोकसभा चुनाव के साथ वोटिंग की। 3 अन्य राज्यों – महाराष्ट्र, हरियाणा और जम्मू-कश्मीर – ने अक्टूबर-नवंबर में चुनाव किए।
बीजेपी का मानना है कि इस पहल से चुनाव खर्च और प्रक्रिया को आसान बनाया जा सकता है। वहीं, विपक्ष इसे संघीय ढांचे के खिलाफ बता रहा है।
आने वाले दिनों में यह देखना होगा कि सरकार इस बिल को पास कराने के लिए क्या रणनीति अपनाती है।