2024 महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों से पहले बीजेपी की नेता और एमएलसी पंकजा मुंडे ने उत्तर प्रदेश के नेताओं द्वारा दिए गए नारे “बंटेंगे तो कटेंगे” पर अपना असहमति जताई है। द इंडियन एक्सप्रेस को दिए गए एक इंटरव्यू में पंकजा ने इस नारे के खिलाफ अपनी राय व्यक्त करते हुए कहा कि उनकी राजनीति की विचारधारा समावेशी विकास पर आधारित है। उन्होंने कहा, “सच कहूं तो मेरी राजनीति अलग है। मैं सिर्फ इसलिए इस नारे का समर्थन नहीं करूंगी कि मैं उसी पार्टी से हूं। एक नेता का काम इस धरती पर रहने वाले हर व्यक्ति को जोड़ना है। हमें महाराष्ट्र में इस तरह के मुद्दे लाने की कोई जरूरत नहीं है।”
यह नारा, जिसे पहले यूपी के नेताओं ने उठाया था, महाराष्ट्र में बीजेपी और उसकी सहयोगी महायुति में विवाद का कारण बन गया है। कुछ नेता इसे समर्थन दे रहे हैं, वहीं पंकजा और एनसीपी के अजित पवार जैसे नेता इसे अनावश्यक मानते हैं। अजित पवार ने भी हाल ही में इस नारे का विरोध करते हुए कहा था कि “यह नारा यूपी या झारखंड में काम कर सकता है, लेकिन महाराष्ट्र में नहीं।”
दिवंगत बीजेपी नेता गोपीनाथ मुंडे की बेटी पंकजा मुंडे को पार्टी में कुछ समय से चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। उनके समर्थकों का मानना है कि उन्हें पार्टी में साइडलाइन कर दिया गया है, हालांकि वह ओबीसी समुदाय में एक बड़ा चेहरा मानी जाती हैं। पिछले लोकसभा चुनाव में सीट हारने के बाद उन्हें एमएलसी पद दिया गया था। महायुति के सीट समायोजन के कारण परली सीट, जो कि मुंडे परिवार की परंपरागत सीट रही है, एनसीपी को दे दी गई है, जहां अब उनके चचेरे भाई धनंजय मुंडे चुनाव लड़ रहे हैं।
पंकजा ने इस बात पर निराशा जताई कि इस चुनाव में बीजेपी परली से चुनाव नहीं लड़ रही है, लेकिन उन्होंने बीजेपी कार्यकर्ताओं से अपील की है कि वे महायुति के उम्मीदवार एनसीपी के धनंजय मुंडे को वोट दें। इससे उनकी पार्टी और महायुति के प्रति उनकी निष्ठा और परिवार की विरासत को बनाए रखने की उनकी कोशिश साफ झलकती है।
2019 के विधानसभा चुनाव में पंकजा और धनंजय परली से आमने-सामने लड़े थे, जिसमें धनंजय की जीत हुई थी। इस बार का चुनाव पंकजा के लिए चुनौतीपूर्ण है, क्योंकि उन्हें अपने समर्थकों और पार्टी के बीच संतुलन बनाते हुए अपने राजनीतिक करियर को आगे बढ़ाना है। उनका यह बयान न केवल महाराष्ट्र में उनकी समावेशी नेतृत्व शैली को दर्शाता है, बल्कि यह भी दिखाता है कि वे राज्य में एकजुटता और विकास को प्राथमिकता देने में विश्वास करती हैं।