मकर संक्रांति पर महाकुंभ में साढ़े 3 करोड़ से अधिक श्रद्धालुओं ने लगाई आस्था की डुबकी

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महाकुम्भ में एकता का अद्भुत संगम, वसुधैव कुटुंबकम का दिया गया संदेश

महाकुम्भ में मकर संक्रांति के मौके पर भारत और दुनिया भर से श्रद्धालुओं का जुटान हुआ, जहां हर राज्य और हर जाति के लोग संगम में डुबकी लगाने पहुंचे। महाकुंभ 2025 प्रयागराज में 12 बजे तक संगम में स्नान करने वालों की संख्या 1.60 करोड़ से अधिक थी। शाम तक श्रद्धालुओं की संख्या साढ़े 3 करोड़ पर कर गई। महाकुम्भ में एकता और वसुधैव कुटुंबकम का संदेश दिया। पहले अमृत स्नान के दौरान संगम के तट पर भारतीय और विदेशी श्रद्धालुओं ने जय श्री राम, हर हर गंगे, और बम बम भोले के उद्घोष के साथ गंगा में डुबकी लगाई। मकर संक्रांति पर महाकुम्भ में भारत के हर राज्य और हर जाति लोगों ने एक साथ संगम में अमृत स्नान किया। इसके साथ दुनिया भर के कई देशों के श्रद्धालु भी पहुंचे और जय श्री राम, हर हर गंगे, बम बम भोले के उद्घोष के साथ भारतीय जनमानस के साथ घुल मिल गए। सभी अखाड़ों के संतों व नागा साधुओं ने सुबह-सुबह गंगा मे डुबकी लगाकर सनातन की अलख जगाई।

भारत की सनातन संस्कृति से अभिभूत विदेशी नागरिक

महाकुम्भ में विदेशी नागरिकों ने भारतीय संस्कृति से गहरा प्रभावित होकर गंगा स्नान किया। अमेरिका, इजरायल, फ्रांस समेत कई देशों के नागरिकों ने बम बम भोले के नारे लगाते हुए भारत की संस्कृति का सम्मान किया। महाकुम्भ नगर में विदेशी नागरिकों ने भी भारतीयों के साथ मिलकर उत्साह और श्रद्धा से स्नान किया।

महाकुम्भ से बढ़ी भारत की अंतरराष्ट्रीय पहचान

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में आयोजित इस दिव्य और भव्य महाकुम्भ ने भारत की सांस्कृतिक विरासत और आध्यात्मिक शक्ति को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर और अधिक मजबूती से प्रस्तुत किया। महाकुम्भ में दुनिया भर से आए श्रद्धालुओं ने भारतीय संस्कृति का अनुभव किया, जिससे भारत की ब्रांडिंग और संस्कृति को वैश्विक मंच पर सम्मान मिला।

विदेशी श्रद्धालुओं ने महाकुम्भ में अनुभव की शांति और सुकून

महाकुम्भ में शामिल होने वाले विदेशी नागरिकों ने इसकी ऊर्जा और सुकून को विशेष रूप से महसूस किया। जैफ (अमेरिका) ने कहा, “यहां की ऊर्जा शांतिपूर्ण और सुकून देने वाली है।” वहीं, ईरान से आई महिला ने महाकुम्भ के सुव्यवस्थित आयोजन और प्रभावशाली माहौल की सराहना की। एक अन्य अमेरिकी नागरिक, पॉला ने हिंदी में कहा कि यह उनके लिए बहुत उत्तम दिन था और महाकुम्भ में साधुओं के साथ स्नान करना उनके लिए सौभाग्य की बात थी।

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