एनबीडी मुंबई,
महाराष्ट्र की विधानसभा में शुक्रवार को शिक्षा विभाग में हुए अब तक के सबसे बड़े भ्रष्टाचार का खुलासा हुआ। विधायक संजय उपाध्याय ने जोरदार तरीके से इस घोटाले को सदन के पटल पर रखते हुए कहा कि जब संदीप सांगवे विभागीय उपसंचालक के पद पर थे, तब उन्होंने फर्जी शिक्षकों और कर्मचारियों के नाम पर करोड़ों रुपये का शासकीय अनुदान हड़प लिया। यह भ्रष्टाचार केवल एक व्यक्ति तक सीमित नहीं रहा, बल्कि इसमें कई स्कूल संचालक, बाबू और ठेकेदार भी शामिल थे। उपाध्याय ने कहा कि यह “शिक्षा के नाम पर सुनियोजित लूट” है, जिसमें वर्षों से भ्रष्टाचार होते हुए भी कार्रवाई नहीं की गई।
इस गंभीर प्रकरण के बाद विधानसभा में हंगामा हुआ और विपक्ष ने जोरदार तरीके से मांग की कि संदीप सांगवे को तत्काल निलंबित किया जाए। शिक्षा मंत्री ने सदन में घोषणा करते हुए कहा कि संदीप सांगवे को तत्काल प्रभाव से निलंबित किया जा रहा है और उनके खिलाफ विभागीय जांच शुरू की जा रही है। साथ ही, इस पूरे भ्रष्टाचार नेटवर्क की जांच कर अन्य दोषियों की भी पहचान कर सख्त कार्रवाई की जाएगी।
यह पहली बार नहीं है जब संदीप सांगवे का नाम विवादों में आया है। पूर्व में भी उन पर शिक्षक भर्ती प्रक्रिया में गड़बड़ी, अनुदान वितरण में पक्षपात और दस्तावेजों की हेराफेरी जैसे गंभीर आरोप लग चुके हैं, लेकिन अब तक किसी भी मामले में ठोस कार्रवाई नहीं हुई थी। सोशल मीडिया पर संजय उपाध्याय का विधानसभा में दिया गया भाषण वायरल हो रहा है और जनता के बीच गुस्सा साफ दिखाई दे रहा है। अब देखने वाली बात यह होगी कि सरकार इस कार्रवाई को कितनी पारदर्शिता से आगे बढ़ाती है और क्या यह कदम शिक्षा विभाग में व्याप्त भ्रष्टाचार के खात्मे की शुरुआत साबित होगा या फिर यह मामला भी सिर्फ एक दिखावा बनकर रह जाएगा।