महाकुंभ 2025: त्रिवेणी संगम में 10 करोड़ श्रद्धालुओं ने लगाई पावन डुबकी, बना नया रिकॉर्ड

महाकुंभ 2025 में संगम स्नान का ऐतिहासिक आंकड़ा, श्रद्धालुओं का उत्साह चरम पर

प्रयागराज, 23 जनवरी। महाकुंभ 2025 में आस्था और श्रद्धा का अद्वितीय संगम देखने को मिल रहा है। गुरुवार को त्रिवेणी संगम में स्नान करने वालों की संख्या ने नया रिकॉर्ड स्थापित करते हुए 10 करोड़ का आंकड़ा पार कर लिया। दोपहर 12 बजे जारी आंकड़ों के अनुसार, इस ऐतिहासिक अवसर पर लाखों श्रद्धालु संगम में आस्था की डुबकी लगाते देखे गए।

महाकुंभ में साधु-संतों, कल्पवासियों, गृहस्थों और देश-विदेश से आए श्रद्धालुओं ने संगम स्नान किया। यह संख्या प्रतिदिन लाखों में बढ़ रही है, जबकि विशेष स्नान पर्वों पर करोड़ों तक पहुंच रही है। सरकार के अनुमान के अनुसार, इस बार महाकुंभ में 45 करोड़ से अधिक श्रद्धालुओं के शामिल होने की संभावना है। शुरुआती दिनों में ही 10 करोड़ का आंकड़ा पार होना इस अनुमान की सटीकता को दर्शाता है।

विविध संस्कृतियों का संगम

महाकुंभ 2025 में भारत की सांस्कृतिक विविधता अपने पूर्ण स्वरूप में दिखाई दे रही है। ऊंच-नीच, जाति-पंथ के भेदभाव को त्यागकर श्रद्धालु संगम में पवित्र स्नान कर रहे हैं। गुरुवार को दोपहर तक 30 लाख से अधिक लोगों ने त्रिवेणी संगम में स्नान किया। इसमें 10 लाख कल्पवासी और देश-विदेश से आए श्रद्धालु शामिल रहे। संगम तटों पर देश और दुनिया की अनेक संस्कृतियों का अद्भुत संगम देखने को मिल रहा है।

स्नान पर्वों पर उमड़ी श्रद्धालुओं की भारी भीड़

23 जनवरी तक 10 करोड़ श्रद्धालु संगम में डुबकी लगा चुके हैं। मकर संक्रांति पर 3.5 करोड़ और पौष पूर्णिमा पर 1.7 करोड़ से अधिक श्रद्धालुओं ने पवित्र स्नान किया। अन्य दिनों में भी लाखों की संख्या में श्रद्धालु पुण्य प्राप्ति के लिए संगम का रुख कर रहे हैं।

शहर का जनजीवन सुचारू Maha Kumbh 2025: 10 crore devotees took holy dip in Triveni Sangam, new record created

करोड़ों श्रद्धालुओं के आगमन के बावजूद प्रयागराज शहर का जनजीवन सामान्य रूप से चल रहा है। जिला प्रशासन ने प्रमुख स्नान पर्वों पर कुछ व्यवस्थागत बदलाव किए हैं, लेकिन आम दिनों में स्कूल, ऑफिस और कारोबार अपनी सामान्य गति से संचालित हो रहे हैं। श्रद्धालुओं और शहरवासियों के बीच संतुलन बनाए रखने की प्रशासन की यह व्यवस्था सराहनीय है।

महाकुंभ 2025 न केवल एक धार्मिक आयोजन है, बल्कि भारत की सांस्कृतिक और सामाजिक एकता का प्रतीक बन चुका है। श्रद्धालुओं का उत्साह इस आयोजन को विश्व के सबसे बड़े आध्यात्मिक उत्सव के रूप में स्थापित कर रहा है।

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