एनबीडी मुंबई,
युगप्रधान आचार्य श्री महाश्रमण जी के सुशिष्य मुनि श्री कुलदीप कुमार जी स्वामी एवं मुनि श्री मुकुल कुमार जी के सान्निध्य में ज्ञानशाला प्रशिक्षक रिफ्रेशर्स कार्यशाला का आयोजन कांदिवली स्थित तेरापंथ भवन में किया गया। इस दो दिवसीय कार्यशाला में मुंबई की लगभग 60 प्रशिक्षिकाओं ने सहभागिता की।
कार्यक्रम का शुभारंभ मुनि श्री के नमस्कार महामंत्र से हुआ। मंगलाचरण डालगणी ज़ोन की प्रशिक्षिकाओं द्वारा प्रस्तुत किया गया। स्वागत भाषण आंचलिक संयोजिका श्रीमती राजश्रीजी कच्छारा ने दिया।

अपने प्रेरणादायक वक्तव्य में मुनि श्री कुलदीप कुमार जी स्वामी ने कहा कि जैन धर्म की बुनियादी समझ प्रत्येक प्रशिक्षक को होनी चाहिए ताकि वे बच्चों को सही दिशा दे सकें। उन्होंने प्रशिक्षिकाओं की निःस्वार्थ सेवा भावना की सराहना की और अभिभावकों से आग्रह किया कि वे बच्चों को ज्ञानशाला भेजने के प्रति सजग रहें।
कार्यक्रम में वरिष्ठ उपासक श्री चांदरतन जी दुग्गड़ एवं वरिष्ठ उपाध्यक्ष श्रीमती सुनिता जी परमार ने अपने विचार साझा किए। संचालन एवं आभार प्रदर्शन आंचलिक सहसंयोजिका श्रीमती अंजुजी चौधरी ने किया।
कार्यशाला के प्रमुख सत्र:
Teaching Techniques: सोमैया कॉलेज की प्रो. हेमा बड़वावकर, प्रो. रूपल ठक्कर और प्रो. रत्ना कोठारी ने PPT के माध्यम से नई शिक्षण तकनीकें सिखाईं। उच्चारण शुद्धि: श्रीमती ममता खाब्या ने प्रशिक्षिकाओं को शुद्ध उच्चारण की विधियाँ सिखाईं। योग सत्र: दूसरे दिन की शुरुआत श्रीमती सायरा बैद द्वारा योग अभ्यास एवं ध्यान सत्र से हुई। स्टोरी टेलिंग: श्रीमती नेहा बोरडिया ने आकर्षक तरीके से बच्चों को कहानी सुनाने की विधियाँ बताईं। जिज्ञासा समाधान: मुनि श्री मुकुल कुमार जी ने प्रशिक्षकों की जिज्ञासाओं का समाधान सरल शब्दों में किया। Wisdom Word: श्रीमती प्रीति धाकड़ ने बच्चों से संवाद, व्यवहार, और मानसिक स्थिति को समझने की कला साझा की। क्राफ्ट एक्टिविटी: सुश्री काजल मादरेचा ने क्राफ्ट कार्यशाला का आयोजन किया। ज्ञानशाला संचालन: श्रीमती अंजू चौधरी ने ज्ञानशाला संचालन की प्रक्रियाएं विस्तार से बताईं। तत्वज्ञान: उपासक श्री सुधांशु चंडालिया ने 25 बोलों के माध्यम से जैन तत्वज्ञान को सरल रूप में प्रस्तुत किया।
कार्यक्रम के समापन सत्र में जैन श्वेताम्बर तेरापंथी सभा के अध्यक्ष श्री माणकजी धींग एवं मंत्री श्री दिनेशजी सुतरिया की उपस्थिति में सभी प्रशिक्षिकाओं को प्रमाण पत्र वितरित किए गए।
कार्यशाला के सफल संचालन में श्रीमती अंजु चौधरी, संगीता बाफना, रेखा खाब्या और चंचल परमार का विशेष योगदान रहा। यह कार्यशाला न केवल ज्ञानवर्धक रही, बल्कि प्रशिक्षिकाओं के लिए आत्ममंथन एवं सशक्तिकरण का मंच भी बनी।