उड़ीसा के पुरी में उमड़ा जनसैलाब, भक्तों ने खींचा आस्था का रथ
एनबीडी पुरी,
आषाढ़ शुक्ल द्वितीया तिथि पर आज पुरी में विश्वविख्यात श्री जगन्नाथ रथ यात्रा 2025 का शुभारंभ हुआ। भक्तिभाव, उल्लास और सांस्कृतिक गरिमा से ओतप्रोत यह पर्व एक बार फिर देश-विदेश के श्रद्धालुओं के लिए आस्था का केंद्र बन गया।
भगवान श्री जगन्नाथ, भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा अपने-अपने रथों में विराजमान होकर श्रीमंदिर से गुंडिचा मंदिर की ओर प्रस्थान कर चुके हैं। लाखों श्रद्धालु इस अद्वितीय दृश्य के साक्षी बने और उन्होंने पूरी आस्था के साथ रथ खींचकर पुण्य अर्जित किया।
रथ खींचने का आध्यात्मिक महत्व
मान्यता है कि जब कोई भक्त प्रेम और समर्पण से भगवान जगन्नाथ का रथ खींचता है, तो यह केवल धार्मिक कर्मकांड नहीं रहता – बल्कि यह जीवन के समस्त कष्टों, पापों और अज्ञान के अंधकार से मुक्ति पाने का मार्ग बन जाता है।

संस्कृति और परंपरा का संगम
रथ यात्रा भारत की प्राचीनतम परंपराओं में से एक है, जो भक्ति के साथ-साथ कला, संगीत और काष्ठकला की उत्कृष्ट परंपरा को भी जीवंत करती है। तीन विशाल रथ – नंदीघोष (जगन्नाथ), तालध्वज (बलभद्र) और दर्पदलन (सुभद्रा) – विशेष प्रकार की लकड़ियों से पारंपरिक विधि से बनाए गए हैं।
प्रशासन की तैयारी
रथ यात्रा को सफल बनाने के लिए प्रशासन ने विशेष सुरक्षा व्यवस्था की है। पुरी नगर में अतिरिक्त पुलिस बल, चिकित्सा सुविधा, पेयजल केंद्र, भोजन व्यवस्था और आपातकालीन सहायता के लिए विशेष प्रबंध किए गए हैं।

श्रद्धालुओं की भावना
एक वृद्ध भक्त ने आँखों में आँसू लिए कहा,
“प्रभु जगन्नाथ का रथ खींचना मेरे जीवन का सबसे बड़ा सौभाग्य है। यही वह क्षण है जब लगता है कि ईश्वर स्वयं हमारे पास आ गए हैं।”
आज ही देशभर के कई शहरों, कस्बों और गांवों में भी रथ यात्राओं का आयोजन किया गया है। मंदिरों में विशेष पूजा, भजन, झांकियां और भंडारे हो रहे हैं।
इस रथ यात्रा के माध्यम से हम सभी के जीवन में सुख, शांति, भक्ति और अध्यात्म का प्रकाश फैले — यही कामना है।