आयोजक राकेश शेट्टी बोले – “उत्तर भारतीयों की आवाज़ उठाने वाली एकमात्र पार्टी है कांग्रेस”
मुलुंड संवाददाता,
मुंबई कांग्रेस उत्तर भारतीय प्रकोष्ठ (मुंबई प्रदेश) के नवनियुक्त अध्यक्ष एडवोकेट अवनीश तीर्थराज सिंह का भव्य स्वागत-सत्कार समारोह मुलुंड स्थित जीएस शेट्टी हॉल में बड़ी गरिमा और उत्साह के साथ सम्पन्न हुआ। कार्यक्रम में स्वागत समारोह के आयोजक कांग्रेस प्रवक्ता राकेश शेट्टी, वरिष्ठ कांग्रेस नेता, सामाजिक कार्यकर्ता, पत्रकार एवं बड़ी संख्या में उत्तर भारतीय समाज के लोग उपस्थित रहे।

श्राकेश शेट्टी ने श्री छत्रपति शिवाजी महाराज और डॉ. बाबासाहेब अंबेडकर के जयघोष के साथ अपने जोशीले संबोधन की शुरुआत करते हुए कहा, “आज के राजनीतिक परिवेश में जब उत्तर भारतीय समाज को केवल वोट बैंक के रूप में देखा जा रहा है, तब भी कांग्रेस ही एकमात्र ऐसी पार्टी है जो उनके अधिकार, सम्मान और सहभागिता की बात करती है। कांग्रेस ने हमेशा संविधान, समानता और सामाजिक न्याय के मूल्यों को सर्वोपरि रखा है।”
तो वहीं एड. अवनीश सिंह ने अपने अध्यक्षीय वक्तव्य में कहा, “मैं यह पद नहीं, बल्कि एक उत्तरदायित्व के रूप में ले रहा हूं। उत्तर भारतीय समाज आज भी मुंबई जैसे महानगर में अपने हक और सम्मान के लिए संघर्ष कर रहा है। हम कांग्रेस के झंडे तले इस समाज की आवाज़ बनेंगे और हर उस स्थान पर पहुंचेंगे जहां अन्याय, भेदभाव या उपेक्षा हो रही है।”

कार्यक्रम में उत्तर भारतीय समाज के पारंपरिक व्यंजन लिट्टी-चोखा भोज की व्यवस्था विशेष आकर्षण का केंद्र रही, जिससे उपस्थित जनसमूह में अपार उत्साह देखा गया। आज के समय में जब विभिन्न राजनीतिक दल उत्तर भारतीयों को केवल राजनीतिक आंकड़ों में गिनते हैं, कांग्रेस पार्टी ने एड. सिंह को अध्यक्ष बनाकर यह स्पष्ट संदेश दिया है कि उत्तर भारतीय समाज केवल मतदाता नहीं, समाज का निर्माता भी है। उनकी समस्याएं, जैसे किरायेदार के रूप में भेदभाव, रोजगार में कठिनाइयाँ, स्थानीय पहचान की लड़ाई – ये अब संगठन के प्रमुख एजेंडे में हैं।
इस कार्यक्रम में शहर के विभिन्न प्रतिष्ठित पत्रकारों का भी अभिनंदन और स्वागत किया गया, जिन्होंने वर्षों से समाज की समस्याओं को मंच तक पहुँचाया है। कार्यक्रम का संचालन बेहद अनुशासित और सुसंस्कृत वातावरण में हुआ, जिससे कांग्रेस की संगठनात्मक एकता और समर्पण की झलक मिली।
कार्यक्रम में लिट्टी-चोखा भोज समारोह रहा, जिसने उत्तर भारतीय सांस्कृतिक आत्मीयता को मजबूती से प्रदर्शित किया। पूरे आयोजन में गरिमा, अनुशासन और संगठनात्मक एकता की झलक स्पष्ट रूप से दिखाई दी। यह समारोह एक राजनैतिक आयोजन मात्र नहीं, बल्कि उत्तर भारतीय समाज के आत्म-सम्मान, सामाजिक भागीदारी और राजनीतिक पुनःस्थापना की दिशा में एक सार्थक कदम सिद्ध हुआ।