लखनऊ में 100 करोड़ का फर्जी कागज़, नकली मालिक, 90 सरकारी प्लॉट हड़प लिए घोटालेबाज

10 साल से चल रहा था रियल एस्टेट का बड़ा खेल, एलडीए की जमीन पर भूमाफिया ने जमाया कब्जा

एनबीडी खोज पड़ताल,

लखनऊ के पॉश इलाकों—गोसाईंगंज, जानकीपुरम विस्तार, गोमतीनगर और सरोजिनी नगर—में बीते 10 वर्षों में एक ऐसा घोटाला चला, जिसमें फर्जी कागजातों के ज़रिए लखनऊ विकास प्राधिकरण (एलडीए) की सरकारी ज़मीनें बेची जा रही थीं। अब तक 90 से ज्यादा प्लॉटों की फर्जी बिक्री का खुलासा हुआ है, जिनकी मौजूदा कीमत करीब ₹100 करोड़ आंकी गई है।

कैसे हुआ फर्जीवाड़ा?

एक संगठित गैंग ने नकली दस्तावेजों, जाली मोहरों और फर्जी हस्ताक्षरों के सहारे प्लॉटों की रजिस्ट्री कराई। एलडीए की जमीन को प्राइवेट बता कर भोले-भाले खरीदारों को बेचा गया। रजिस्ट्री वैध लगती थी, लेकिन असल में सब कुछ फर्जी था।

गिरफ्तारी और खुलासा

बाराबंकी निवासी मोहम्मद जहीर अहमद को विभूतिखंड पुलिस ने पकड़ा है। उसने एक अधिवक्ता को नकली दस्तावेजों के ज़रिए ₹2 करोड़ का प्लॉट बेच दिया। इससे पहले गिरोह के तीन और सदस्य गिरफ्त में आ चुके हैं।

जानकीपुरम और राधाग्राम बनीं निशाना

जानकीपुरम विस्तार योजना में 123 भूखंडों की फर्जी रजिस्ट्री सामने आई, जिनमें पार्क और ग्रीन एरिया तक शामिल थे। सीबीआई जांच में सब सामने आया, और कोर्ट ने तीन दोषियों को सजा भी सुनाई। राधाग्राम योजना की 524 बीघा ज़मीन को भी भूमाफिया ने कब्जा कर बेच डाला। एलडीए ने जांच के बाद प्लॉटिंग निरस्त करने की प्रक्रिया शुरू की है।

प्रशासन की कार्रवाई तेज

एलडीए ने उच्च स्तरीय जांच कमेटी गठित की है। फर्जी रजिस्ट्री वाले प्लॉट कैंसिल किए जा रहे हैं। जिम्मेदार अधिकारियों की भूमिका की भी जांच की जा रही है।

खरीदारों के लिए अलर्ट: सतर्क रहें

अगर आप लखनऊ में ज़मीन या प्लॉट खरीदना चाहते हैं, तो इन बातों का ध्यान रखें:

जमीन के दस्तावेज एलडीए या रजिस्ट्री कार्यालय से क्रॉस चेक करें। नक्शे, स्वीकृति पत्र, और स्वामित्व प्रमाणपत्र वकील से जांचें। बहुत सस्ते ऑफर से सावधान रहें, वे जाल हो सकते हैं।

यह घोटाला सिर्फ एक कानूनी मामला नहीं, बल्कि जनता की मेहनत की कमाई पर सीधा हमला है। जागरूकता ही इसका सबसे बड़ा जवाब है।

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