विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने मंगलवार (12 नवंबर) को कहा कि भारत को उम्मीद है कि वह 2030 की लक्षित समयसीमा से पहले ही रूस के साथ 100 अरब डॉलर के द्विपक्षीय व्यापार के लक्ष्य को हासिल कर लेगा।

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विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने मंगलवार (12 नवंबर) को कहा कि भारत को उम्मीद है कि वह 2030 की लक्षित समयसीमा से पहले ही रूस के साथ 100 अरब डॉलर के द्विपक्षीय व्यापार के लक्ष्य को हासिल कर लेगा। हालांकि, जयशंकर ने यह भी बताया कि इस मील के पत्थर तक पहुंचने के लिए दोनों देशों को अभी भी व्यापार संतुलन में बाधा बन रही कुछ चुनौतियों को दूर करना होगा। जयशंकर ने यह बात रूस के पहले उप प्रधानमंत्री डेनिस मंटुरोव के साथ एक महत्वपूर्ण बैठक के दौरान कही, जिसमें दोनों देशों के बीच व्यापार और तकनीकी सहयोग की समीक्षा की गई।

उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि भारत और रूस ने व्यापार के क्षेत्र में, खासकर भुगतान प्रणाली और लॉजिस्टिक्स के क्षेत्र में, कई चुनौतियों का समाधान करने में सराहनीय प्रगति की है। इसके बावजूद, जयशंकर का मानना है कि इन बाधाओं को पूरी तरह से दूर करने के लिए अभी भी कुछ और काम करने की आवश्यकता है। गौरतलब है कि दोनों देशों ने 2030 तक द्विपक्षीय व्यापार को 100 बिलियन डॉलर तक पहुंचाने का लक्ष्य रखा है।

सोमवार (11 नवंबर) को मुंबई में आयोजित भारत-रूस व्यापार मंच के दौरान, जयशंकर ने व्यापार संतुलन की आवश्यकता पर भी बल दिया। भारत का रूस के साथ व्यापार घाटा लगभग 57 बिलियन डॉलर तक पहुंच गया है, जो 2022 से रूस से बड़े पैमाने पर कच्चे तेल की खरीद के कारण है। इसी साल जुलाई में, भारत और रूस ने 2030 तक अपने व्यापार को 100 बिलियन डॉलर तक पहुंचाने के लक्ष्य पर सहमति व्यक्त की थी।

जयशंकर ने अंतर-सरकारी आयोग की बैठक के उद्घाटन भाषण में कहा कि भारत इस लक्ष्य को समय से पहले ही प्राप्त करने के लिए प्रतिबद्ध है, क्योंकि दोनों देशों की अर्थव्यवस्थाएं एक-दूसरे की पूरक हैं और उनके संबंधों में वर्षों से विश्वास और भरोसे की बुनियाद है। उन्होंने यह भी बताया कि वर्तमान में भारत-रूस का व्यापार 66 अरब डॉलर के करीब है, जो एक प्रभावशाली आंकड़ा है, लेकिन फिर भी दोनों देशों के सामने कुछ चुनौतियां बनी हुई हैं जिन्हें हल करने की आवश्यकता है।

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भारत-रूस व्यापार संबंधों को और मजबूत करने की आवश्यकता को दोहराते हुए, जयशंकर ने कहा कि व्यापारिक असंतुलन को कम करने और भविष्य के आर्थिक सहयोग को बढ़ावा देने के लिए दोनों पक्षों को मिलकर प्रयास करना चाहिए। उन्होंने कहा कि इस दिशा में प्रगति के लिए विभिन्न क्षेत्रों में व्यापारिक और तकनीकी बाधाओं को दूर करने पर ध्यान देना अनिवार्य है।

यह भी पढ़ें: भारत और रूस की नई डील से जुड़ी एक बड़ी खबर के अनुसार, रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के अत्याधुनिक हथियारों का आयात अब भारत में होगा, जिससे भारत की सुरक्षा शक्ति को एक नया आयाम मिलेगा।

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