पुरुषों के अधिकार और लैंगिक समानता की बहस के बीच एक और दुखद घटना सामने आई है।
बिहार के मूल निवासी और बेंगलुरु में कार्यरत एआई इंजीनियर अतुल सुभाष ने अपनी पत्नी और न्यायिक व्यवस्था के कुचक्र के आगे घुटने टेकते हुए आत्महत्या कर ली। उन्होंने 23 पन्नों का हिंदी में लिखा सुसाइड नोट छोड़ा है और डेढ़ घंटे की एक वीडियो क्लिप भी, जिसमें आत्महत्या के कारण बताए गए हैं।
आत्महत्या का कारण
अतुल सुभाष ने अपनी आत्महत्या के लिए जौनपुर के प्रधान परिवार न्यायालय की न्यायाधीश रीता कौशिक, उनकी पत्नी निकिता सिंघानिया, सास निशा सिंघानिया, साले अनुराग सिंघानिया और पत्नी के रिश्तेदार सुशील सिंघानिया को जिम्मेदार ठहराया है।
2019 में निकिता सिंघानिया से शादी के बाद निकिता जौनपुर लौट गईं और अतुल और उनके परिवार के खिलाफ दहेज उत्पीड़न और घरेलू हिंसा के झूठे मामले दर्ज कराए। अतुल ने आरोप लगाया कि उनकी पत्नी और ससुरालवालों ने पैसे ऐंठने के लिए साजिश रची और उनके परिवार को झूठे केसों में फंसा दिया।
सुसाइड नोट और वीडियो के मुख्य तथ्य
- भ्रष्टाचार और न्यायिक दबाव के आरोप:
- अतुल ने आरोप लगाया कि जौनपुर कोर्ट में हर पेशी के लिए रिश्वत मांगी गई।
- उन्होंने कहा कि कोर्ट ने उन पर 3 करोड़ रुपये की गुजारा भत्ता राशि देने और 5 लाख रुपये देकर मामला निपटाने का दबाव बनाया।
- जब उन्होंने रिश्वत देने से इनकार किया तो कोर्ट ने उनके खिलाफ 80 हजार रुपये मासिक गुजारा भत्ता देने का आदेश जारी कर दिया।
- शादीशुदा जीवन की मुश्किलें:
- अतुल ने बताया कि उनकी पत्नी ने उनसे अजीबोगरीब मांगें कीं, जिसके कारण उन्होंने दूरी बना ली।
- निकिता ने तलाक के बदले 2 लाख रुपये महीना और 3 करोड़ रुपये की मांग की।
- उनका बेटा उनसे दूर रखा गया और मिलने की अनुमति नहीं दी गई।
- न्यायपालिका का संवेदनहीन रवैया:
- अतुल ने आरोप लगाया कि जब उन्होंने न्यायाधीश को अपनी पत्नी द्वारा आत्महत्या के लिए उकसाने की बात कही, तो न्यायाधीश ने इस पर हंसते हुए मजाक बनाया।
- आत्महत्या से पहले की अपील:
- अतुल ने कहा कि उनकी अस्थियां तब तक विसर्जित न की जाएं जब तक कि दोषियों को सजा न मिले।
- उन्होंने यह भी कहा कि उनकी पत्नी या उसके रिश्तेदार उनके शव के पास न आएं।
पुलिस जांच और परिवार का आरोप
बेंगलुरु पुलिस ने अतुल के भाई की शिकायत पर उनकी पत्नी और ससुरालवालों के खिलाफ मामला दर्ज किया है। शिकायत में कहा गया है कि 3 करोड़ रुपये के समझौते के लिए झूठे मुकदमे किए गए।
निष्कर्ष
अतुल सुभाष की आत्महत्या एक गंभीर सवाल खड़ा करती है कि क्या हमारी न्याय प्रणाली और कानून सही मायने में समानता और न्याय की गारंटी देते हैं। दहेज और घरेलू हिंसा के खिलाफ बनाए गए कानूनों के दुरुपयोग को रोकने के लिए ठोस कदम उठाने की जरूरत है ताकि निर्दोष लोग इस तरह की त्रासदी के शिकार न हों।