अमेरिका की राष्ट्रीय सुरक्षा को लेकर एक बड़ी चूक सामने आई है, जिससे पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की कैबिनेट पर सवाल उठने लगे हैं। रिपोर्ट्स के अनुसार, ट्रंप प्रशासन के शीर्ष अधिकारियों द्वारा यमन में हूती विद्रोहियों पर संभावित हमले की गोपनीय योजना एक पत्रकार को लीक हो गई।
कैसे हुआ प्लान लीक?
ट्रंप कैबिनेट के वरिष्ठ अधिकारियों ने यमन में हूती विद्रोहियों पर हमले की रणनीति पर चर्चा के लिए एक मैसेजिंग ऐप Signal पर एक ग्रुप बनाया था। इस ग्रुप में अमेरिकी उपराष्ट्रपति जेडी वेंस, रक्षा मंत्री पीट हेगसेथ, विदेश मंत्री मार्को रुबियो, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) माइक वॉल्ट्ज और अन्य उच्च पदस्थ अधिकारी शामिल थे। इस ग्रुप में बेहद संवेदनशील जानकारी साझा की जा रही थी, जैसे—अगला हमला कब और कहां होगा, किस समय किया जाएगा, और किन हथियारों का इस्तेमाल किया जाएगा।
गड़बड़ी तब हुई जब NSA माइक वॉल्ट्ज ने गलती से The Atlantic मैगजीन के एडिटर-इन-चीफ जेफरी गोल्डबर्ग को इस ग्रुप में जोड़ने के लिए अनुरोध भेज दिया।
पत्रकार को मिला युद्ध योजना का पूर्व संकेत
जेफरी गोल्डबर्ग ने खुलासा किया कि 11 मार्च को उन्हें माइकल वॉल्ट्ज नाम के एक उपयोगकर्ता से Signal पर कनेक्शन रिक्वेस्ट मिली। शुरू में उन्होंने इस पर ज्यादा ध्यान नहीं दिया, लेकिन दो दिन बाद उन्हें Houthi PC small group नामक चैट ग्रुप में जोड़ लिया गया।
गोल्डबर्ग ने बताया कि इस ग्रुप में शामिल होने के बाद उन्हें सूचित किया गया कि हूती विद्रोहियों पर हमले की योजना इस ग्रुप के जरिए समन्वित की जाएगी। उन्होंने आगे कहा कि 15 मार्च को यमन में हूती ठिकानों पर बमबारी होने से दो घंटे पहले ही उन्हें पता चल गया था कि यह हमला हो सकता है। सुबह 11:44 बजे, रक्षा मंत्री पीट हेगसेथ ने ग्रुप पर अमेरिका के वॉर प्लान की जानकारी साझा की थी।
ट्रंप और उनके मंत्रियों की सफाई
जब इस लीक को लेकर पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से सवाल किया गया, तो उन्होंने किसी भी जानकारी से इनकार कर दिया। उन्होंने The Atlantic पर कटाक्ष करते हुए कहा कि यह एक मैगज़ीन है जो जल्द ही बंद होने वाली है।
वहीं, रक्षा मंत्री पीट हेगसेथ ने भी इन आरोपों को खारिज किया। उन्होंने गोल्डबर्ग को “धोखेबाज और बेहद बदनाम पत्रकार” बताया और कहा कि कोई भी युद्ध योजना संबंधित मैसेज साझा नहीं किया गया था।
अमेरिकी सुरक्षा पर गंभीर सवाल
इस घटना के बाद अमेरिका की राष्ट्रीय सुरक्षा को लेकर गंभीर सवाल उठने लगे हैं। यह चूक केवल प्रशासन की लापरवाही ही नहीं, बल्कि अमेरिका की सैन्य रणनीति की गोपनीयता पर भी खतरा पैदा कर सकती है। विशेषज्ञों का मानना है कि ऐसी गलतियां अमेरिका की वैश्विक छवि को नुकसान पहुंचा सकती हैं और सैन्य अभियानों की विश्वसनीयता पर सवाल खड़े कर सकती हैं।
अब यह देखना होगा कि इस मामले में आगे क्या कार्रवाई होती है और क्या अमेरिकी प्रशासन इस गलती से कोई सीख लेता है।