राज ठाकरे के बयान के बाद बढ़ा बवाल
एनबीडी मुंबई,
महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (MNS) प्रमुख राज ठाकरे द्वारा मुंबई में दिए गए एक सार्वजनिक भाषण में हिंदी भाषी नागरिकों को लेकर की गई कथित विवादित टिप्पणी अब तूल पकड़ती जा रही है। मुंबई हाईकोर्ट से जुड़े अधिवक्ताओं के एक दल ने महाराष्ट्र राज्य के पुलिस महानिदेशक को पत्र लिखकर इस बयान को संविधान विरोधी बताते हुए राजद्रोह, घृणा भाषण, और राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम (NSA) के तहत कड़ी कार्रवाई की मांग की है।
यह पत्र अधिवक्ता पंकज मिश्रा, नित्यानंद शर्मा और आशीष राय द्वारा संयुक्त रूप से प्रेषित किया गया है, जिसमें उन्होंने राज ठाकरे पर आरोप लगाया है कि उन्होंने महाराष्ट्र में मराठी भाषा के सम्मान की आड़ में उत्तर भारतीय भाषी नागरिकों को सार्वजनिक रूप से अपमानित किया। उनका बयान, “मराठी बोलो नहीं तो महाराष्ट्र छोड़ो”, न केवल भारत के संविधान के अनुच्छेद 14, 15 और 19 का उल्लंघन करता है, बल्कि सामाजिक सौहार्द को भी गंभीर रूप से प्रभावित करता है।

अधिवक्ताओं ने पत्र में बताया कि यह बयान 5 जुलाई 2025 को दी गई राज ठाकरे की एक सार्वजनिक सभा में दिया गया, जो बाद में सोशल मीडिया पर व्यापक रूप से वायरल हुआ। पत्र के साथ यूट्यूब व इंस्टाग्राम लिंक भी संलग्न किए गए हैं, जिनमें उक्त भाषण के अंश देखे जा सकते हैं। यह भाषण, अधिवक्ताओं के अनुसार, अल्पसंख्यकों के विरुद्ध घृणा और क्षेत्रीय असहिष्णुता को बढ़ावा देने वाला है।
पत्र में यह भी मांग की गई है कि राज्य सरकार इस बयान की फॉरेंसिक जांच करवाए और यह सुनिश्चित करे कि महाराष्ट्र में रहने वाले सभी नागरिकों — चाहे वे किसी भी राज्य या भाषा से हों — को समान सुरक्षा, सम्मान और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता मिले। अधिवक्ताओं ने स्पष्ट किया है कि यदि इस पर तत्काल कार्रवाई नहीं की गई तो इससे राज्य में कानून-व्यवस्था की स्थिति बिगड़ सकती है।
इस पूरे मामले में पुलिस महानिदेशक कार्यालय की प्रतिक्रिया अभी तक सार्वजनिक नहीं की गई है।