मेट्रो स्टेशन पर पानी घुसने की घटना में ठेकेदार पर ₹10 लाख का जुर्माना

एनबीडी मुंबई,

मुंबई मेट्रो के आचार्य अत्रे चौक मेट्रो स्टेशन पर 26 मई 2025 को हुई भारी बारिश के चलते स्टेशन परिसर में पानी घुसने की गंभीर घटना सामने आई। इस वजह से स्टेशन की यात्रियों के लिए सेवाएं तत्काल रोकनी पड़ीं। मामले की जांच के बाद निर्माण में लापरवाही और तकनीकी त्रुटियां सामने आईं, जिसके चलते ठेकेदार कंपनी DOGUS-SOMA JV पर ₹10,00,000/- (दस लाख रुपये) का जुर्माना लगाया गया है। यह जानकारी RTI कार्यकर्ता अनिल गलगली को सूचना के अधिकार अधिनियम के अंतर्गत प्राप्त हुई।

ठेकेदार कंपनी डोगस-सोमा जेवी को जारी की नोटीस के अनुसार तेज बारिश के दौरान, मेट्रो स्टेशन के कॉन्कोर्स लेवल में बड़ी मात्रा में पानी प्रवेश कर गया। जांच में पाया गया कि यह घटना B2 एंट्री/एग्ज़िट इंटरफेस पर स्थापित अस्थायी फायर बैरियर प्रीकास्ट सीमेंट वॉल के टूटने के कारण हुई। दीवार टूटने से बारिश का पानी और कचरा स्टेशन के अंदर घुस गया, जिससे कीचड़ जमा हो गया और पानी का बहाव तेजी से प्लेटफॉर्म, सीढ़ियों, अंडरक्रॉफ्ट लेवल, AFC सिस्टम, सिग्नलिंग, टेलिकॉम, इलेक्ट्रिकल सिस्टम और कंट्रोल रूम तक पहुंच गया। इस जलप्रवाह के कारण स्टेशन के आर्किटेक्चरल डेकोरेशन को नुकसान पहुंचा और यात्रियों की सुविधा पर भी बुरा असर पड़ा। सुरक्षा की दृष्टि से सेवाएं तुरंत रोक दी।

जनरल कंसल्टेंट (GC) की प्राथमिक जांच रिपोर्ट के अनुसार, ठेकेदार कंपनी ने पहले से EE-B3 क्षेत्र में एक डिवॉटरिंग सिस्टम (जल निकासी प्रणाली) स्थापित की थी, जिसमें कई पंप लगे थे जो सामान्य परिस्थितियों में पानी निकालने में सक्षम थे। हालांकि, घटना के समय ठेकेदार का ऑपरेटर समय पर पंप चालू करने में असफल रहा, जिससे पानी पूरे स्टेशन में फैल गया। इस गंभीर लापरवाही के चलते CG/चीफ प्रोजेक्ट मैनेजर-1 राजेश कुमार मित्तल ने DOGUS-SOMA JV कंपनी को कारण बताओ नोटिस जारी किया, और दोष सिद्ध होने पर ₹10 लाख का जुर्माना लगाया गया। मेट्रो 3 के किसी भी अधिकारी पर कार्रवाई नहीं की गई। मेट्रो 3 ने दावा किया है कि एक विचित्र घटना पाई गई। रिपोर्ट के अनुसार, क्षति वास्तुशिल्पीय परिष्करण को हुई है, जिसे ठेकेदार ने स्वयं ही बदल दिया है और मरम्मत कर दी है। सभी नुकसानों को 5 दिनों के भीतर ठीक कर दिया गया है।

आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली ने इस पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि “सार्वजनिक धन से बने ऐसे महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट में इस तरह की लापरवाही बेहद चिंताजनक है। इससे यात्रियों को असुविधा होती है और करोड़ों रुपये का नुकसान होता है। इस विषय में मैंने मुख्यमंत्री एवं मेट्रो-3 प्रशासन को भी शिकायत भेजी थी।”

अनिल गलगली का मानना है कि मुंबई जैसे महानगर में मेट्रो सेवाएं जीवन रेखा हैं। ऐसी घटनाएं न केवल सुरक्षा में चूक का संकेत देती हैं, बल्कि प्रणाली में जवाबदेही की भी परीक्षा हैं। मानसून के मद्देनज़र प्रशासन को भविष्य में ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति रोकने हेतु ज्यादा सतर्क और सजग रहने की आवश्यकता है।

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