मुंबई संवाददाता
भांडुप (पश्चिम) में 17 वर्षीय दीपक रामलिंगम पिल्लई की करंट लगने से हुई दर्दनाक मौत के मामले में आखिरकार महाराष्ट्र राज्य विद्युत मंडल (MSEB) के दो अधिकारियों के खिलाफ गंभीर लापरवाही (Criminal Negligence) का मामला दर्ज किया गया है। यह कार्रवाई घटना के 55 दिन बाद हुई है, जब परिवार और स्थानीय नागरिकों ने लगातार न्याय की मांग की।
यह हादसा 19 अगस्त 2025 को पन्नालाल कंपाउंड, भांडुप (पश्चिम) में हुआ था। जांच में स्पष्ट हुआ कि क्षेत्र में एमएसईबी के कार्य के दौरान एक खुला गड्ढा बिना किसी सुरक्षा उपाय के छोड़ा गया था, जिसमें बारिश का पानी भर गया। तारों की सुरक्षा न होने से उसमें करंट फैल गया और दीपक उसकी चपेट में आ गए।
प्रत्यक्षदर्शी नितिन जैन (40) ने बताया कि हादसे से कुछ घंटे पहले ही उन्होंने एमएसईबी को खुले तारों में करंट और चिंगारी की शिकायत की थी, लेकिन कोई अधिकारी मौके पर नहीं पहुँचा। “यदि समय रहते बिजली काट दी जाती, तो दीपक आज जीवित होते,” उन्होंने कहा।
दीपक के परिवार ने एफआईआर दर्ज होने का स्वागत करते हुए कहा , हमने अपना इकलौता बेटा खो दिया, सिर्फ इसलिए क्योंकि जिन पर जिम्मेदारी थी, उन्होंने लापरवाही की। सामाजिक कार्यकर्ता उमेश सिंह और अधिवक्ता संतोष दुबे के पहल पर 55 दिन तक संघर्ष के बाद एफआईआर दर्ज हुआ । यह हमारे सरकारी व्यवस्था की संवेदनहीनता को दिखाता है। अब हमें निष्पक्ष और त्वरित न्याय चाहिए। भांडुप पुलिस ने एमएसईबी के सुपरवाइज़र और तकनीशियन के खिलाफ धारा 304(ए) के तहत मामला दर्ज किया है।

पीड़ित परिवार के अधिवक्ता संतोष दुबे ने कहा , यह मामला केवल एक परिवार की त्रासदी नहीं, बल्कि प्रशासनिक जवाबदेही की परीक्षा है। जिनकी लापरवाही से यह दुर्घटना हुई, उन्हें केवल निलंबित नहीं, बल्कि दंडित किया जाना चाहिए। न्याय तभी पूर्ण होगा जब दोषी अधिकारियों को सजा मिलेगी।”
परिवार ने महाराष्ट्र सरकार और ऊर्जा विभाग से अपील की है कि भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए स्पष्ट मानक कार्यप्रणाली (SOP) और आपातकालीन प्रतिक्रिया तंत्र (Emergency Response System) लागू किया जाए।
“दीपक की मौत सिर्फ एक हादसा नहीं, बल्कि एक चेतावनी है — ताकि कोई और परिवार अपना बच्चा इस तरह न खोए।”