एनबीडी पट्टी,
पट्टी क्थाने में एक महीने पहले तैनात किए गए कोतवाल अवन कुमार दीक्षित का अचानक तबादला कई सवाल खड़े कर रहा है। उनके ट्रांसफर को लेकर चर्चाओं का बाजार गर्म है—क्या वाकई नशे के कारोबार पर शिकंजा कसना ही उनके स्थानांतरण की असली वजह बन गया?

कोतवाल अवन कुमार दीक्षित ने अपने छोटे से कार्यकाल में न केवल क्षेत्र में अपराधियों के हौसले पस्त किए बल्कि सड़कों पर खड़ी अवैध गाड़ियों का चालान कर ट्रैफिक व्यवस्था में भी सख्ती दिखाई। खास बात यह रही कि उन्होंने पट्टी क्षेत्र में सक्रिय नशे के सौदागरों पर नकेल कसनी शुरू की थी। लोगों का कहना है कि माफिया अब थाने आने से डरने लगे थे।
इतने कम समय में ऐसा प्रभाव छोड़ जाना आम बात नहीं है। जनता का कहना है कि उनके कार्यकाल में जो बदलाव महसूस होने लगा था, वह उम्मीदें जगा रहा था। लेकिन उनका इस तरह अचानक ट्रांसफर हो जाना कहीं न कहीं ये संकेत दे रहा है कि शायद कुछ प्रभावशाली ताकतें इस बदलाव से असहज हो गई थीं।
अब सवाल ये उठ रहा है—क्या सच में नशे के जाल पर कसे शिकंजे की कीमत कोतवाल को चुकानी पड़ी? या फिर वजह कुछ और है?