एनबीडी भांडुप,
आज के समय में जहां विकास के नाम पर पेड़ों की कटाई आम हो गई है, वहीं एक प्रेरणादायक उदाहरण सामने आया है। पर्यावरण प्रेमी सुरेश कोपरकर ने 50 साल से अधिक पुराने एक विशाल वृक्ष को कटने से बचाकर एक नई दिशा दिखाई है। पेड़ को नष्ट करने की बजाय उन्होंने उसे सावधानीपूर्वक एक नई जगह पर स्थानांतरित करवाया, ताकि वह वर्षों तक जीवित रह सके और आने वाली पीढ़ियों के लिए छांव और जीवनदायिनी ऑक्सीजन देता रहे।

यह वृक्ष कई सालों से अपने स्थान पर खड़ा था, लेकिन किसी परियोजना के कारण इसे हटाया जाना था। आमतौर पर ऐसी स्थिति में पेड़ों को काट दिया जाता है, लेकिन सुरेश कोपरकर ने इसे काटने की बजाय उसे बचाने का बीड़ा उठाया। उन्होंने विशेषज्ञों की मदद से पूरी योजना बनाई, जिसके तहत पेड़ की जड़ों को सुरक्षित तरीके से खोदा गया और विशेष मशीनों की मदद से उसे एक सुरक्षित स्थान पर शिफ्ट किया गया।

यह प्रक्रिया आसान नहीं थी, लेकिन सुरेश कोपरकर की लगन, दूरदृष्टि और प्रकृति के प्रति प्रेम ने यह असंभव सा दिखने वाला कार्य भी संभव कर दिखाया। उन्होंने यह साबित किया कि अगर इच्छा हो, तो विकास और पर्यावरण दोनों के बीच संतुलन बनाया जा सकता है।
स्थानीय लोगों और पर्यावरण कार्यकर्ताओं ने सुरेश कोपरकर के इस कार्य की सराहना की है। उनका कहना है कि यह पहल सिर्फ एक पेड़ को बचाने की नहीं, बल्कि पूरे समाज को जागरूक करने की दिशा में एक बड़ा कदम है।
सुरेश कोपरकर की यह सोच आज के समय में और भी ज्यादा जरूरी है, जब हर रोज़ हजारों पेड़ विकास कार्यों की भेंट चढ़ जाते हैं। इस कदम से उन्होंने यह संदेश दिया है कि पेड़ सिर्फ लकड़ी नहीं होते, वे जीवन होते हैं – और उन्हें बचाना हमारी जिम्मेदारी है।