मध्य रेल : 172 वर्षों की गौरवशाली यात्रा और विकास की नई दिशा

एनबीडी मुंबई,

भारतीय रेल की ऐतिहासिक यात्रा ने 16 अप्रैल, 2025 को 172 वर्ष पूरे कर लिए। यह यात्रा 16 अप्रैल, 1853 को बोरीबंदर (वर्तमान छत्रपति शिवाजी महाराज टर्मिनस) से ठाणे के लिए चली पहली रेलगाड़ी से शुरू हुई थी। यही भारत और एशियाई उपमहाद्वीप की पहली ट्रेन थी, जिसने देश में रेल युग की शुरुआत की।

ग्रेट इंडियन पेनिनसुला रेलवे, जिसने इस ऐतिहासिक यात्रा का संचालन किया था, वर्ष 1900 में इंडियन मिडलैंड रेलवे कंपनी में विलीन हो गया और इसका विस्तार दिल्ली, कानपुर, इलाहाबाद, नागपुर और रायचूर तक हुआ। 5 नवंबर, 1951 को निजाम स्टेट, सिंधिया स्टेट और धौलपुर रेलवे को मिलाकर “मध्य रेल” का गठन हुआ।

मौजूदा समय में मध्य रेल अपने पाँच मंडलों — मुंबई, भुसावल, नागपुर, सोलापुर और पुणे — के माध्यम से महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश और कर्नाटक राज्यों में 4322.55 रूट किलोमीटर के विशाल नेटवर्क पर कार्यरत है। 492 स्टेशनों के जरिए यह लाखों यात्रियों को प्रतिदिन सेवा प्रदान कर रहा है।

तकनीकी और संरचनात्मक विकास में अग्रणी मध्य रेल आज 10 वंदे भारत एक्सप्रेस ट्रेनों का संचालन कर रहा है, जो यात्रियों को तेज, सुरक्षित और आरामदायक सफर उपलब्ध कराती हैं। यह क्षेत्र भारत की पहली शताब्दी एक्सप्रेस, जन शताब्दी, तेजस एक्सप्रेस और अब एसी उपनगरीय ट्रेनों के माध्यम से कई नवाचारों का साक्षी रहा है।

1925 में बॉम्बे वीटी से कुर्ला के बीच पहली विद्युत ट्रेन चलाकर विद्युतिकरण की शुरुआत करने वाला यह जोन आज 100% विद्युतीकृत है। उपनगरीय नेटवर्क में भी निरंतर वृद्धि हुई है, जिसमें अब कुल 80 एसी सेवाएँ शामिल हैं।

वर्ष 2024-25 में माल लदान 82.52 मिलियन टन तक पहुँचा है। साथ ही नई रेल लाइनों, दोहरीकरण, पुलों और ‘अमृत भारत स्टेशन योजना’ के तहत 80 स्टेशनों का आधुनिकीकरण भी प्रगति पर है।

नेरल-माथेरान लाइट रेलवे ने भी 118 वर्षों की गौरवपूर्ण सेवा पूरी की है, जो पर्यावरण के प्रति जागरूक और तकनीकी दृष्टि से अद्भुत विरासत है।

मध्य रेल, 1853 से आज तक, अपने यात्रियों को सुरक्षित, तेज और विश्वसनीय सेवा देने के लिए निरंतर प्रयासरत है और भविष्य में भी प्रगति की नई गाथा लिखता रहेगा।

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